-सेमलिया रायमल: ३५० घर, २५० तालाब
-सेमलिया रायमल में हो रही है पानी की खेती
-सेमलिया रायमल: ३५० घर, २५० तालाब
शैलेंद्र सिरसाठ
इंदौर. शहर से नेमावर रोड के खुडैल पार करते ही पानी वाले गांवों की कहानी शुरू हो जाती है। कच्ची सडक़ क्या, गांव को जाने वाली हर पगडंडी पर बड़े-बड़े ताल नजर आते हैं। कहीं एक साथ १० ताल बने हैं, तो कहीं तालों के बीच खेत में फसल लहलहाती नजर आती है। मोरोद हाट, खराडिय़ा होते हुए जैसे ही सेमलिया रायमल गांव की दहलीज नजदीक आती है। चारों और ३०० तालाबों के बीच तनिक से खेत और हरियाली नजर आती है। यह वे गांव हैं, जहां खेती तो की जा रही है, लेकिन पानी की!
पिछले कुछ वर्षों से कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही बलराम ताल योजना के प्रति किसान खासे उत्साहित है। नतीजा यह है कि दर्जन भर गांव में ५०० से अधिक ताल तैयार हो चुके हैं। जो किसान पहले एक पैदावार भी मुश्किल से ले पाते थे। वर्तमान में दो से तीन फसल ले रहे हैं। इतना ही नहीं अब तो इस क्षेत्र का जल स्तर भी पहले से बेहतर हो गया है। ट्यूबवेल जो पहले २५० फीट तक गहराई में जाकर भी दम तोड़ देते थे। अब १२० फीट पर बोरिंग हो रही है, जो मार्च तक किसानों की प्यास बुझाती है।
नेमावर रोड स्थित मोरोद हाट, सेमलिया रायमल, खराडिय़ा, डिगवाल, फली, बावलिया, अरनिया, कंपेल, सेमलिया चाऊ आदि गांव के किसानों को बिजली गुल होने की फ्रि क नहीं है क्योंकि ताल में भरा पानी जब चाहे खेतों में डीजल पंप के सहारे दिया जा सकता है। अगर समय से पहले ही ताल खाली हो जाए तो विद्युत आने पर उसे ट्यूववेल के सहारे दोबारा भर दिया जाता है।
सेमलिया रायमल प्रदेश का पहला गांव
विभाग के भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी ने बताया कि सेमलिया रायमल में २५० परिवार के बीच ३०० तालाब है। इतने ताल प्रदेश के किसी भी गांव में नहीं है। सेमलिया रायमल में हर किसान के पास तालाब हैं। पहले जो किसान एक फसल भी मुश्किल से ले पाते थे। तालाब बनने के बाद दो से तीन फसल ले रहे हैं। यहां करीब दर्जनभर गांव में ५०० से अधिक तालाब हैं, जो कि ८ से २८ फीट तक गहरे हैं।
ऐसे बने ताल
किसान कल्याण व कृषि विभाग के सहायक उपसंचालक ने बताया कि बलराम ताल योजना की शुरुआत २००७-०८ में हुई थी। जबकि गांव के लक्ष्मीनारायण डांगी ने अपने तीन बीघा जमीन में तालाब बनाकर इसकी शुरुआत योजना के पूर्व ही कर दी थी। गांव में विभाग के सर्वेयर्स ने ग्रामीण अंचलों में जाकर किसानों को इस योजना के बारे में बताया था। किसानों ने इस योजना में रुचि दिखाई। इस योजना में एक ताल के लिए दो किस्तों में ८० हजार रुपए तक अनुदान दिया जाता है। अप्रैल से लक्ष्य की पूर्ति शुरू की जानी है।
प्रकाश दांगी किसान, दांगी सेमलिया
हमारे पास १५० बीघा जमीन है। ताल बनने से पहले पूरी जमीन में से आधी तो सूखी ही रह जाती थी। एक फसल लेने में काफी जोर लगता था। लेकिन जब से हमने तीन ताल बनवाए हैं। दो फसल आराम से ले लेते हैं। इसके साथ ही अब हमारी पूरी जमीन सिंचित हो गई है।
केदार सिंह दांगी किसान सेमलिया रायमल
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