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पीथमपुर

नगर में कलश यात्रा के साथ कुंभ स्थापना के साथ हुआ महोत्सव

सांवेर में अंजनश्लाका प्रतिष्ठा: प्रतिमाओं को रथ में लेकर वरघोड़ा में शामिल हुए लाभार्थी

पीथमपुरMay 07, 2022 / 12:51 am

Shailendra shirsath

नगर में कलश यात्रा के साथ कुंभ स्थापना के साथ हुआ महोत्सव

नगर में कलश यात्रा के साथ कुंभ स्थापना के साथ हुआ महोत्सव

सांवेर. शुक्रवार को प्रात:काल की बेला में सांवेर के डाक बंगले से लेकर नवनिर्मित जिनालय तक का मार्ग गुलाबी परिधान में कलशधारी जैन श्राविकाओं, तीर्थंकरों और अन्य देव-देवियों की प्रतिमाओं को गोद में लेकर अलग-अलग रथों में बैठे लाभार्थियों, आचार्य जितरत्नसागर सुरिश्वर व आचार्य चंद्ररत्नसागर सुरिश्वरजी महाराज और उनके साथ शहनाई और ढोलक की धुन पर नाचते-गाते चल रहे जैन युवाओं तथा अनुगमन करती श्राविकाओं से पटा हुआ। आगे-आगे जिन शासन और गुरु भगवंतों के जयकारे और तीर्थंकरों का यशगान करते भजन सुनते बैंड चल रहा था। सांवेर नगर में यह मनोरम दृश्य जैन श्वेतांबर सकल श्रीसंघ की अगुआई में आयोजित हो रहे अंजनश्लाका प्रतिष्ठा महोत्सव के आरंभ दिवस पर जैन महिला मंडल की जल कलशयात्रा के आयोजन के कारण निर्मित हुआ था। जल कलशयात्रा के आयोजन और इसके पश्चात् नवकारसी के लाभार्थी महिदपुर के कल्याणमल बांठिया और परिवार रहे। प्रतिष्ठा की निर्धारित कार्यक्रमानुसार शुक्रवार को प्रात: 7 बजे ढोल-ढमाके और शहनाइयों के साथ जैनाचार्य जितरत्नसागर सुरिश्वर व आचार्य चंद्ररत्नसागर सुरिश्वर और अन्य श्रमण-श्रमणियों के साथ नगर के श्रावक-श्राविकाओं को लेकर डाक बंगले पहुंचे। जहां लाभार्थी बांठिया परिवार द्वारा विधिविधान से पूजन करवाने के बाद जल कलश मस्तक पर धारण कर महिलाएं मंदिर की ओर अग्रसर हुई। एक रंग की वेशभूषा में कलशधारी जैन महिलाएं इस वरघोड़ा की शोभा विशेष रूप से बढ़ा रही थी।
रथों में प्रतिमाएं और लाभार्थी निकले
कलशयात्रा में शामिल तीन रथों में वे लाभार्थी अलग-अलग प्रतिमाओं को लेकर विराजित थे, जिनके हाथों उनके द्वारा अर्जित प्रतिमा का अंजन और प्रतिष्ठा नवीन जिनालय में होना है। मूलनायक भगवान आदिनाथ प्रभु, विमलनाथ प्रभु और नेमीनाथ प्रभु के अंजन प्रतिष्ठा का का लाभार्थी कोठारी परिवार सांवेर है, जबकि पाश्र्वनाथ प्रभु प्रतिष्ठा के लाभार्थी विमलचंद बावेल परिवार सांवेर, अभिनंदन स्वामी प्रतिमा प्रतिष्ठा के लाभार्थी चेतन प्रकाशचंद्र जैन परिवार, भोयरे में मूलनायक पाश्र्वनाथ प्रभु अंजन के लाभार्थी दिलीप कोठारी परिवार, नेमीनाथ प्रभु अंजन प्रतिष्ठा के लाभार्थी राजेश जैन बोहरा परिवार, देवी चकेश्वरी माता प्रतिमा प्रतिष्ठा के लाभार्थी विमलचंद, दीपचंद, ओमप्रकाश कटारिया परिवार, गौमुखयक्षराज की प्रतिष्ठा के लाभार्थी मोहनलाल, मुकेश कटारिया परिवार, मां पद्मावती प्रतिष्ठा के लाभार्थी मोहन जैन परिवार, लक्ष्मीदेवी भराने, गौतम स्वामी और नाकोड़ा भैरव प्रतिमा प्रतिष्ठा के लाभार्थी सुरेशचंद्र, स्व. रखबचंद, स्व. अभयकुमार अजीत और राजेश खाबिया परिवार, लक्ष्मीदेवी प्रतिष्ठा के लाभार्थी विपिन दीपचंद बावेल परिवार हैं।
कुंभ स्थापना कर जवारे रौपे
रथों के पीछे आचार्य जैनाचार्य जितरत्नसागर सुरिश्वर व आचार्य चंद्ररत्नसागर सुरिश्चर, साध्वी सौम्यवंदना श्रीजी, साध्वी राजिता श्रीजी, अर्हमव्रता श्रीजी और अन्य श्रमण- श्रमणियों के साथ नगर के जैन महिला-पुरुष नाचते-गाते चल रहे थे। रास्ते में परंपरानुसार अनेक घरों से आचार्यश्री की श्रीफल , अक्षत से गहुली की गई । मंदिर में आकर वरघोड़ा विसर्जित हुआ। यहां महोत्सव के लिए आचार्यश्री की पावन निश्रा में कुंभ स्थापना की गई, जिसके लाभार्थी गौतमपुरा के सुमनलाल-मुकेश मंडोवरा परिवार थे। चौबीसी गान लाभार्थी सीमा कटारिया, जवारा रोपण लाभार्थी अक्षत योगेंद्र जैन, क्षेत्रपाल व अंबिका पूजन लाभार्थी विमलचंद बावेल तथा प्रभु अंगरचना के लाभार्थी विजयकुमार कटारिया परिवार रहे। शनिवार को मंगल प्रभातिया, चौबीसी गान, दस दिग्पाल पूजन, नवग्रह पूजन, अष्टमंगल पूजन, लघु सिद्धचक्रपूजन और वेदिका पर प्रभु स्थापना का कार्यक्रम होगा।

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