स्नातक छात्रा आरती तिवारी बनीं बलरामपुर जिला पंचायत अध्यक्ष, 29 जुलाई को होगी घोषणा पीलीभीत टाइगर रिजर्व में हिरन की पांच प्रजातियां बारहसिंघा, सांभर, चीतल, काकड़ और पाड़ा पायी जाती हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बिलाल मियां ने बीत दो साल में कुछ तस्वीरे खींची हैं जो पीटीआर में पाए जाने वाले हिरनों से कुछ अलग थीं। इन तस्वीरों को जिक्र जब वन अफसरों किया गया तो उन्होंने बताया कि, ये पाड़ा और काकड़ प्रजाति के हिरनों हैं। इनके शरीर के ऊपरी हिस्से में स्पॉट पाए गए, जोकि मात्र चीतल प्रजाति के शरीर पर ही पाए जाते हैं। वर्ष 2014-15 में भी पाड़ा और काकड़ प्रजाति के हिरनों में ऐसा बदलाव देखा गया था।
ब्रीडिंग के चलते हुआ बदलाव :- इस बदलाव पर विशेषज्ञों की राय अलग अलग है। सेवानिवृत उप प्रभागीय वनाधिकारी, पीटीआर डीपी सिंह का कहना है कि, चीतल से इन दोनों प्रजातियों के साथ हुई ब्रीडिंग के चलते ही यह बदलाव देखा जा रहा है।
एक शोध का विषय :- उप प्रभागीय वनाधिकारी, माला उमेश चंद्र राय का मानना है कि, हिरन प्रजाति में इंटरस्पशीज ब्रीडिंग हो सकती है। हॉग और बार्किंग प्रजाति के हिरनों के शरीर पर धब्बे दे रहे हैं। चूंकि यहां चीतल बहुतायत में है, जबकि हॉग और बार्किंग प्रजाति कम है। ऐसे में यह संभव है, मगर यह एक शोध का विषय है।
इनवायरमेंटल इफेक्ट का परिणाम संभव :- पीलीभीत टाइगर रिजर्व डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल का कहना है कि, आपसी प्रजनन की बात से मैं सहमत नहीं हूं। हिरन की जिन दो प्रजातियों में बदलाव होने की बात कहीं जा रही है, वह इनवायरमेंटल इफेक्ट का भी परिणाम हो सकता है।