1- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थापित है। उज्जैन का पुराणों और प्राचीन धर्म ग्रन्थों में ‘उज्जयिनी’ तथा ‘अवन्तिकापुरी’ के नाम से उल्लेख मिलता है। मंगल ग्रह का जन्मस्थान मंगलश्वेर भी यहीं स्थित है। इतिहास प्रसिद्ध भर्तृहरि की गुफा एवं महर्षि सान्दीपनि जी का आश्रम जहां भगवान श्रीकृष्णच व बलराम जी शिक्षा प्राप्त की थी। उज्जैन में प्रत्येक बारह साल में एक बार सिहंस्थ महाकुम्भ का विशेष मेला लगता है।
उज्जैन पहुंच मार्ग-
वायुमार्ग- उज्जैन जाने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है जो उज्जैन से करीब 58 किलोमीटर है।
रेलमार्ग- उज्जैन लगभग देश के सभी बड़े शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है।
सड़कमार्ग- उज्जैन में नैशनल हाइवे 48 और नैशनल हाइवे 52 इसे देश के प्रमुख शहरों से होते हुए जाते हैं।
2- ओंकारश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही अमलेश्वर ज्येतिर्लिंग भी स्थापित है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है। ओंकारेश्वर तीर्थ अलौकिक है, जो मनुष्य इस तीर्थ में पहुँचकर अन्नदान, तप, पूजा आदि करता है अथवा अपना प्राणोत्सर्ग यानि मृत्यु को प्राप्त होता है, उसे शिव क में स्थान प्राप्त होता है।
ओंकारेश्वर पहुंच मार्ग-
वायुमार्ग- देवी अहिल्याबाई होलकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, इंदौर से 77 किमी की दूरी पर है।
रेलमार्ग- रेलवे जंक्शन खंडवा, पूरे भारत में कहीं से भी ओंकारेश्वर पहुंचने से लिए सुपरफास्ट एवं एक्सप्रेस ट्रेन उपलब्ध हैं।
सड़कमार्ग- बस स्टैंड मोरटक्का 12 किमी यहां पर इंदौर, उज्जैन, खंडवा, खरगोन से सीधी बस उपलब्ध है।
3- अमरकंटक
अमरकंटक मध्यप्रदेश के अनूपपुर ज़िले में स्थित है। अमरकंटक नर्मदा नदी एवं सोन नदी के उद्गम-स्थान के रूप में जाना जाता है। यह एक तीर्थस्थल और सिद्ध क्षेत्र के रूप में भी प्रख्यात है। अमरकंटक ऋक्षपर्वत का एक भाग है, जो पुराणों में वर्णित सप्तकुल पर्वतों में से एक है। अमरकंटक में अनेक मन्दिर और प्राचीन मूर्तियां हैं, जिनका सम्बन्ध महाभारत के पाण्डवों से बताया जाता है।
वायु मार्ग- अमरकंटक का निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर में है, जो लगभग 245 किलोमीटरकी दूरी पर है।
रेल मार्ग- पेंड्रा रोड अमरकंटक का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो लगभग 35 किलोमीटर दूर है। सुविधा के लिहाज से अनूपपुर रेलवे स्टेशन अधिक बेहतर है जो अमरकंटक से 72 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग- अमरकंटक के लिए पेंड्रा रोड, बिलासपुर और शहडोल से यहां के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है।
4- पीताम्बरा पीठ
मध्य प्रदेश के दतिया शहर में माँ पीताम्बरा सिद्ध शक्तिपीठ स्थापित है। यहां विराजमान देवी दिन में ३ बार रूप बदलती हैं। यहां आने वाले भक्त की माता के दर्शन मात्र से इच्छा पूरी हो जाती है। शत्रुओं का नाश करने वाली देवी पीताम्बरा के दरबार में राजसत्ता की चाह रखने वाले लोगों की भीड़ सदैव ही देखी जा सकती है। कई भक्त यहां पर गुप्त रूप से मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष पूजा अर्चना और यज्ञ करवाते हैं। आज तक यहां आने वाले भक्त की प्रार्थना निष्फल नहीं हुई।
वायु मार्ग- दतिया शहर जाने के लिए सबसे निकटमत हवाई 2 अड्डे हैं, एक ग्वालियर में जहां से लगभग 75 किमी और दूसरा झांसी में 29 किमी दूर स्थित है।
रेल मार्ग- दतिया रेलवे स्टेशन, यहां से मां पीताम्बरा माता का मंदिर मात्र 3 किमी की दूरी पर है।
5- मुलताई ताप्ती नदी
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई शहर में सूर्य पुत्री पुण्य सलीला माँ ताप्ती का उद्गम स्थल हैं। यहां प्रतिवर्ष ताप्ती जयंती पर भव्य मेला लगता है। माँ ताप्ती के उद्गम स्थल कुंड पर बारहों महीने पिंडदान, श्राद्धकर्म करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते है।
वायु मार्ग- मुलताई जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा भोपाल में है, यहां 250 किमी. की दूरी पर है।
रेल मार्ग- मुलताई रेलवे स्टेशन से 2 किमी. की दूरी पर ताप्ती मंदिर एवं ताप्ती नदी का उद्गम स्थल।
सड़क मार्ग- बैतुल जिले से 70 किमी. की दूरी पर है मुलताई।
6- सलकनपूर विजयासन माता
मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के सलकनपुर नामक गांव में लगभग एक हजार फीट की ऊंची पहाड़ी माँ दुर्गा विजयासन देवी के रूप में विराजमान है। विजयासन देवी को कई लोग कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं। सलकनपूर में माता के दर्शन करने के लिए हर रोज दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त पहुंचते हैं।
वायु मार्ग- नजदीकी हवाई अड्डा भोपाल, जहां केवल 75 किमी. की दूरी पर है।
रेल मार्ग- होशंगाबाद रेलवे स्टेशन से 40 किमी. इटारसी से 60 किलो. की दूरी पर है।
सड़क मार्ग- भोपाल से अब्दुल्लागंज होत हुए एवं होशंगाबाद से बुधनी होते सरल पहुंच मार्ग है।
7- भोजपुर मंदिर
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर भोजपुर नामक गांव में भगवान शिव की विशालकाय शिवलिंग स्थापित है, जिसे भोजपुर मंदिर के नाम से जाना है। भोजपूर मंदिर बेतवा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वतमालाओं के बीच पहाड़ी पर स्थापित है। इस मंदिर की स्थापना राजाभोज ने (1010 – 1053 ईं.) में कराया था। भोजपूर मंदिर उत्तर भारत के सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता है।
वायु मार्ग- भोपाल हवाई अड्डा से 30 किमी. की दूरी।
रेल मार्ग- भोपाल एवं हबीबगंज रेलवे स्टेशन से 25 किमी. की दूरी।
सड़क मार्ग- भोपाल से 25 किमी की दूरी पर, होशंगाबाद मार्ग पर है।
8- बगलामुखी माता मंदिर
मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के नलखेड़ा गांव में लखुंदर नदी के तट पर स्थापित है। यहां प्रसिद्ध बगलामुखी मंदिर में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति बगलामुखी देवी माँ स्थापित है। माता का यह मंदिर विशेष रूप से तांत्रिक अनुष्ठान जाना जाता है। इस मंदिर में बगलामुखी माता के अलावा लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती माता की स्थापना भी की गई है। दस महाविद्याओं में से एक है बगलामुखी माता मानी जाती है।
वायु मार्ग- निकटतम हवाई अड्डा इंदौर।
रेल मार्ग- इंदौर रेलवे स्टेशन से 30 किमी पर स्थित देवास स्टेशन से 60 किमी की दूरी पर।
9- देवास वाली माता
मध्यप्रदेश के देवास शहर में एक पहाड़ी पर चामुण्डा माता एवं तुलजा भवानी माता के ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर स्थापित है। यहां पर दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त आते हैं। देवास वाली माता के नाम से जाने जानी वाली माता यहां दो स्वरूप में छोटी माँ और बड़ी माँ तुलजा भवानी एवं चामुण्डा माता के नाम से जाना जाता है। बड़ी माँ को तुलजा भवानी और छोटी माँ को चामुण्डा माता कहा जाता है।
वायु मार्ग- निकटतम हवाई अड्डा इंदौर।
रेल मार्ग- इंदौर रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी एवं देवास स्टेशन से 2 किमी की दूरी।
सड़क मार्ग इंदौर एवं उज्जैने से 30 कमी. सरल मार्ग।
10- मैहर- माँ शारदा भवानी
मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर नगर में माँ शारदा भवानी मैहर वाली माता विराजमान है। यह मंदिर तमसा के तट पर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। मैहर माँ शारदा मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है, जिसे भगवान नृसिंह के नाम ‘नरसिंह पीठ’ के नाम से भी जाना जाता है। आल्हखण्ड के नायक आल्हा व ऊदल दोनों भाई मां शारदा के अनन्य उपासक थे। यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं। दोनों नवरात्रियों में यहां भव्य मेला लगता है।
वायु मार्ग- निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर और रीवा है।
रेल मार्ग- जबलपुर स्टेशन, कटनी और सतना स्टेशन, यहां अप और डाउन की सभी ट्रेने रूकती है।
सड़क मार्ग- सतना, रीवा से सुगम सड़क मार्ग है।
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