असली जीरादेई
असली जीरादेई तो डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का गांव है। यहां दो सटे हुए गांव हैं, जीरादेई और जामापुर। कायदे से इस गांव के सबसे पास के रेलवे स्टेशन का नाम ठेपहा होना चाहिए था, लेकिन डा. राजेन्द्र प्रसाद को आदर देने के लिए इस स्टेशन का नाम जीरादेई रखा गया। अब असली जीरादेई जाने के लिए कागजी या नकली जीरादेई से होकर गुजरना पड़ता है। जीरादेई रेवले स्टेशन से दक्षिण की दिशा में जीरादेई गांव स्थित है।
जीरादेई रेलवे स्टेशन
कोलकाता-दिल्ली रेल रूट पर सीवान और मैरवा के बीच स्थित जीरादेई रेलवे स्टेशन पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की यादों को संजोने की थोड़ी कोशिश हुई है। जीरादेई रेलवे स्टेशन सीवान रेलवे स्टेशन से 12 किलोमीटर दूर है और अनेक रेलगाडिय़ां इस स्टेशन पर रुकती हैं।
प्रथम राष्ट्रपति का घर-गांव
प्रथम राष्ट्रपति का जन्म जिस घर में हुआ था, वह जीरादेई गांव में आज भी स्थित है। उनके पूर्वज जमींदार थे, तो उनका घर भी काफी बड़ा है और खूबसूरत दालान वाले इस मकान में कभी महात्मा गांधी भी ठहर चुके हैं। वर्ष 1927 में 16 जनवरी को महात्मा गांधी यहां आए थे और 18 जनवरी की सुबह यहां से रवाना हुए थे।