इधर सड़क निर्माण से नाराज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कार्यक्रम स्थल के बीच रास्ते से ही लौट जाना पड़ा। ये दो बानगियां उस सूबे की हैं जहां सरकार ने हर शहर से तीन घंटों में राजधानी पटना पहुंचने का अभियान चला रखा है। उस सरकार की भी जो पहले के 15 साल के कार्यकाल की अपने शासन के 15 सालों की तुलना के साथ चुनावी संग्राम में उतरने की तैयारी कर चुकी है।
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल को पटना से सड़क मार्ग के जरिए एक प्रशासनिक यात्रा पर गया गए और लौटने में अपनी कार वहीं छोड़ ट्रेन की सवारी की। मुख्य न्यायाधीश ने अदालत में मौखिक आदेश देते हुए कहा सड़क के हालात को बेहद शर्मनाक बताया और कहा कि जो पर्यटक गया और बोधगया आते होंगे उन्हें कैसी समस्या झेलनी पड़ती होगी ,यह तो वे ही बता पाएंगे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले बोधगया और गया जानेवाली सड़क की खस्ता हालत पर कड़ी नाराजगी जताई।एक हप्ते में गया यात्रा कर अधिकारियों से रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। प्रसिद्ध हिंदू और बौद्धतीर्थ गयाधाम पहुंचने का ऐसा विकट मार्ग राज्य सरकार को भी शर्मसार कर देने वाला है।
लेकिन मुख्यमंत्री खुद नाराज़ हो गये। जल जीवन हरियाली यात्रा के क्रम में नवादा के प्रानपुर पहुंचने से पहले ही सड़क निर्माण से बेहद खफा हुए मुख्यमंत्री बीच रास्ते से ही वापस लौट गये। सड़क न ई बनाई गई थी।पर निर्माण ऐसा अधकचरा कि सीएम ने आसमान सिर पर उठा लिया और अधिकारियों की क्लास लगा डाली।
यह उस राज्य का हाल है जो अगले साल विधानसभा चुनावों का मैदान बनने जा रहा है और सरकार अपने पंद्रह वर्षों के कार्यकाल की तुलना पहले के पंद्रह वर्षों से करते हुए इतरा रही है। सरकार के अधिकारियों की फौज अभी मुख्यमंत्री के साथ ही उनकी जल जीवन हरियाली यात्रा में शामिल है।वह गया में ही कैबिनेट की बैठक कर रहे हैं। उन्होंने विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर में मंगलवार को पूजा भी की।
मुख्यमंत्री गया के पर्यटन महत्ता को बखूबी जानते हैं जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।बावजूद इसके गया पटना मुख्यमार्ग का खस्ताहाल होना सरकार के लिए शर्मनाक कहा जाएगा।खासकर तब जबकि बिहार के पर्यटन और पानी को नियंत्रित और विकसित कर सूबे को सबसे समृद्ध राज्य बनाने की सीख पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दी हुई है।