अध्यापन से जुड़े शंकरानंद की कविताएं उम्मीद की किरण दिखाती हैं। दूसरे पुरस्कार के रूप में चयनित उनकी कविता ‘इंतजारÓ उन अंधेरों की बात करती है जिसने जीवन को लगभग घेर लिया है। यह वर्तमान जीवन के भविष्य के प्रति गहरी आस्था की कविता है जहां इंतजार करने वाली आंखें जानती हैं कि लौटने का कोई मौसम नहीं होता। इसलिए यह तय है कि चीजें बदलेंगी। आज का समय भले ही उदास और विचलित करने वाला है, पर ये स्थायी नहीं है। इस समारोह में उत्कृष्ट साहित्य व कविता लेखन के लिए कुल चार लोगों को सम्मानित कर पुरस्कार प्रदान किए गए। कविता में पहला पुरस्कार जोधपुर के विनोद विट्ठल की कविता ‘सीख’ को मिला और दूसरा पुरस्कार शंकरानंद ने अपने नाम किया।