निशांत कुमार की एंट्री पर बढ़ती अटकलें
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर चर्चा तब तेज हुई जब उन्होंने अपने गृह क्षेत्र बख्तियारपुर में अपने दादा के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। वहां उन्होंने नीतीश कुमार के विकास कार्यों की तारीफ करते हुए जनता से अपील की थी कि वे फिर से उनके पिता को मुख्यमंत्री बनाएं। इसके बाद से ही उनकी सियासी पारी की संभावनाओं पर बहस शुरू हो गई। सूत्रों के मुताबिक, होली के बाद निशांत औपचारिक रूप से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत कर सकते हैं। जदयू के कई नेताओं का मानना है कि अगर निशांत राजनीति में आते हैं, तो पार्टी को मजबूती मिलेगी और कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ेगा।
जदयू में स्वागत की तैयारी
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने निशांत कुमार के राजनीति में आने की संभावना पर कहा, जब मेरी बेटी राजनीति में आ सकती है, तो वो क्यों नहीं आ सकते? अगर निशांत राजनीति में आते हैं, तो हम उनका स्वागत करेंगे। हालांकि, यह फैसला हमारे नेता (नीतीश कुमार) को करना है। पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह ने भी कहा, डॉक्टर का बेटा डॉक्टर होता है, पत्रकार का बेटा पत्रकार होता है। ऐसे में अगर निशांत राजनीति में आते हैं, तो नई पीढ़ी उनका स्वागत करेगी।
उत्तराधिकारी पर चर्चा
नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी को लेकर भी लंबे समय से कयास लगाए जा रहे हैं। अगर निशांत कुमार राजनीति में आते हैं, तो उन्हें नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा सकता है। जदयू के भीतर भी कई नेता इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं। चुनावी रणनीति में नई ऊर्जा
चर्चा है कि निशांत कुमार आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। इस साल के आखिर में होने वाले चुनावों के मद्देनज़र निशांत का राजनीति में प्रवेश जदयू की रणनीति को नई धार दे सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इससे पार्टी को युवा और नई पीढ़ी का समर्थन मिल सकता है।
परिवारवाद पर नीतीश की पुरानी राय
हालांकि, यह दिलचस्प है कि नीतीश कुमार अब तक राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ बोलते रहे हैं। ऐसे में निशांत की एंट्री पर उनकी राय महत्वपूर्ण होगी। फिलहाल जदयू की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।