पटना। राज्य में ढाई वर्ष से अधिक समय के प्रयास के बाद भी अब तक करीब पौने चार करोड़ लोगों के आधार कार्ड नहीं बने हैं। खासकर बड़ी संख्या में 18 वर्ष या उससे कम आयु वर्ग के बच्चों का आधार पंजीयन का कार्य अधूरा है।
चालू माह तक सात करोड़ लोगों का आधार कार्ड बना है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में पंजीयन की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से तीन करोड़ ४१ लाख से अधिक लोगों का पंजीयन नहीं हो सका है। वर्ष २०११ में राज्य की जनसंख्या १०.४१ करोड़ थी। पांच साल में यह आबादी ११ करोड़ से अधिक हो गई है। छोटे बच्चों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। शून्य से पांच व १८ आयु वर्ग के बच्चों का पंजीयन मुख्य चुनौती है।
पूरी आबादी के पंजीयन में कम से कम छह माह और लगेंगे। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का दावा है कि ९१ प्रतिशत वयस्कों के कार्ड बन गए हैं। राज्य के सीमावर्ती जिलों में आधार पंजीयन कराने की गति सबसे तेज है। सबसे अधिक किशनगंज जिले में ८० प्रतिशत लोगों के आधार कार्ड जारी हो गए हैं। पूर्णिया में ७६.८५ प्रतिशत, कटिहार में ७३.७४ प्रतिशत पंजीयन हो गया है। सबसे कम जहानाबाद में ४६.७, नवादा ४८.८ और भोजपुर में ४९.९ प्रतिशत पंजीयन हुआ है।
क्यों जरूरी है आधार कार्ड
अब सरकार लाभुकों को किसी भी तरह की अनुदान राशि आधार कार्ड के आधार पर देंगी। मिलते-जुलते नाम वाले व्यक्ति दूसरे का लाभ नहीं ले सकेंगे। प्राय: सभी योजनाओं से जुड़े लाभुकों की पहचान आधार नंबर से होगा।
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