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पाली

youth in depression…युवाओं के ये हालात बेहद घातक

अवसाद के कारण कई युवा कर रहे आत्महत्या का प्रयासयुवाओं में धैर्य हो रहा कम… तनाव व अवसाद बढ़ रहा

पालीJun 14, 2023 / 10:07 am

Rajeev

youth in depression...युवाओं के ये हालात बेहत घातक

youth in depression…युवाओं के ये हालात बेहत घातक

केस एक
पाली शहर के एक 23 साल के युवक को उसके परिजन मनोचिकित्सक के पास लेकर पहुंचे। उसने पूरे शरीर पर ब्लेड से कट लगा दिए थे। नशा करता था। घरवालों के नशे के लिए पैसे देने से इनकार करने पर खुद को हानि पहुंचाने के साथ परिजनों पर भी हमला कर देता।
केस दो
एक 20 साल की युवती पढ़ाई में कम नम्बर आने से अवसाद से ग्रसित हो गई। परिजनों के कुछ कहने पर गुमसुम रहने लगी और इसके बाद उसने एक साथ नींद की बहुत सी गोलियां खा ली। जब उसे परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे तो हालत काफी गंभीर थी। उसका उपचार किया गया।
पाली शहर के एक 23 साल के युवक को उसके परिजन मनोचिकित्सक के पास लेकर पहुंचे। उसने पूरे शरीर पर ब्लेड से कट लगा दिए थे। नशा करता था। घरवालों के नशे के लिए पैसे देने से इनकार करने पर खुद को हानि पहुंचाने के साथ परिजनों पर भी हमला कर देता।
बांगड़ चिकित्सालय में रोजाना आते हैं चार से पांच मरीज

पाली. युवाओं में तनाव, अवसाद और नींद की कमी की शिकायत बढ़ती जा रही है। यह इतनी भयावहता तक पहुंच जाती है कि युवा मरने व मारने तक को उतारू हो रहे है। इसके मुख्य रूप से बेरोजगारी, प्रतिस्पर्द्धा, आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह आदि कारण मुख्य रूप से सामने आ रहे है। पाली के बागड़ मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में ही रोजाना अवसाद के शिकार चार-पांच युवाओं को लेकर उनके परिजन पहुंच रहे हैं। कई लोग मनो चिकित्सक के पास जाने की झिझक के कारण मरीज के अधिक उग्र होने या मानसिक पीड़ित होने के बाद पहुंचते हैं। ये हालात न केवल युवक के लिए, बल्कि उसके परिजनों के लिए भी घातक सिद्ध होते हैं।
यह है अवसाद के कारण

● प्रतिस्पर्धात्मक माहौल, परीक्षा में असफलता ● धैर्य की कमी ● बेरोजगारी/ आर्थिक तंगी ● आपसी संबंधों में तनाव/ पारिवारिक कलह ● बढ़ते एकाकी परिवार ● सोशल मीडिया का अधिक उपयोग ● समाज-परिजन व मित्रों से कम मेलजोल ● बढ़ती नशे की लत
टॉपिक एक्सपर्ट

युवा या बच्चे के व्यवहार में बदलाव आते ही परिजनों को सतर्क होना चाहिए। विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। जीवन में सफलता व असफलता का दौर आता है। घर-परिवार के बड़ों को चाहिए कि वे युवाओं को इसके लिए मानसिक रूप से दृढ़ बनाए। कारण यह है वे इस दौर से गुजर चुके होते हैं। कई लोग मानसिक रोग होने पर चिकित्सक के पास जाने से झिझकते हैं। उनको अन्य जगहों पर ले जाते है। इससे बीमारी अधिक गंभीर हो जाती है। मानसिक रोग भी अन्य रोगों की तरह है, जो अपनत्व व दवाओं से ठीक हो जाते हैं। बच्चों व युवाओं को अवसाद से बचाने के लिए उनसे बातचीत करना भी जरूरी है।
डॉ. अंकित अवस्थी, विभागाध्यक्ष, मनोरोग विभाग, मेडिकल कॉलेज, पाली

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