प्लास्टर ऑफ पेरिस से निर्मित मूर्तियों का जलाशयों में विसर्जन करने से वे घूलती नही हैं। लम्बे समय तक पानी में ही पडी रहती हैं। धीरे-धीरे इसका रंग व अन्य केमिकल पानी में फैलते रहते हैं। ऐसा पानी पशु, पक्षियों के अलावा मनुष्य के लिए जहरीला होता हैं। इस पानी का उपयोग करने से कई तरह की बीमारियों होने की आंशका रहती हैं। एनजीटी, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल व राज्य पर्यावरण विभाग ने गत साल पीओपी से निर्मित मूर्तियों की बिक्री व विसर्जन नहीं करने के निर्देश दिए थे। इसके तहत शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण इलाके में भी जलाशयों में पीओपी से निर्मित मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जा सकेगा। पीओपी से निर्मित मूर्तियों की बिक्री करने व विसर्जन करते पाए जाने पर मूर्तियों को जब्त करने के साथ ही संबंधित के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।
बैठक में दिए निर्देश
गत साल उपखण्ड स्तरीय अधिकारियों की बैठक का आयोजन हुआ था। जिसमें उपखण्ड स्तरीय अधिकारियों के अलावा पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, शिक्षक समेत वार्ड पंचों को आमंत्रित किया गया था। इसके साथ ही गांव के युवा मण्डल, सामाजिक-धार्मिक संगठनों को भी शामिल कर गणेश चतुर्थी समेत अन्य पर्वों पर पीओपी से निर्मित मूर्तियों का विसर्जन नहीं करने के लिए पाबंद किया था। इसका असर इस बार देखने को मिल रहा हैं। सुमेरपुर-शिवगंज के प्रमुख चौराहों पर इस बार कलाकारों ने भी मिट्टी से निर्मित मूर्तियां ही बनाकर सजा रखी हैं। कई सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने भी इस बार मिट्टी से निर्मित मूर्तियों का ही विसर्जन करने का निर्णय किया हैं।