नगर परिषद की बीते माह हुई कार्यपालक समिति की बैठक में अस्थायी गोशाला खोलने का निर्णय किया गया था। नगर परिषद का दावा भी है कि वे शहरी क्षेत्र से मवेशी पकडकऱ बांगड़ स्टेडियम के पीछे अस्थाई गोशाला व मस्तान बाबा के निकट दमकल कार्यालय परिसर के पीछे बनी गोशाला में पहुंचा रहे हैं। लेकिन, रात ही नहीं, दिन के उजाले में भी शहर के मुख्य मार्गों व भीतरी गलियों में मवेशियों का डेरा कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है।
– पिछले तीन माह में राजमार्ग तथा शहर व गांव की सडक़ों पर विचरते मवेशियों के कारण 10 से अधिक लोग काल के ग्रास में समा गए।
– पिछले माह बाइक सवार दीपक रोटरी भवन के सामने मवेशी से टकरा गया। सिर में चोट लगने से गंभीर घायल हुआ। उपचार के दौरान मौत।
– सोजत के निकट हाइवे पर बिलाड़ा मोड़ के नजदीक मवेशियों की चपेट में आने से बाइक सवार मुसालिया निवासी घेवरराम (65) पुत्र दौलाराम पटेल की मौत। साथी हुआ घायल।
ब्यावर-पिंडवाड़ा तथा पाली-जोधपुर फोरलेन पर टोल कम्पनियां रोजाना लाखों का टोल वसूलती है। कम्पनियां दावा भी करती है कि वे निर्बाध और सुगम यातायात मुहैया करा रहे हैं। जबकि, हकीकत ये है कि सबसे ज्यादा मवेशियों का जमावाड़ा इन दोनों फोरलेन पर ही है, जिस कारण कई इंसानी व मूक जिंदगियां दम तोड़ चुकी है। पाली-नाडोल स्टेट हाइवे भी मवेशियों की समस्या से सुरक्षित नहीं है।
जैतारण। राजमार्ग संख्या 112 व 458 पर बेसहारा मवेशियों के विचरने से आए दिन हादसे हो रहे हैं। अज्ञात वाहन की चपेट में आने से गोवंश की मौत हो गइ। लेकिन, मवेशियों से निजात दिलाने को लेकर जिम्मेदार कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। ना तो नगरपालिका ध्यान दे रही है और ना ही सडक़ प्राधिकरण निगम के अधिकारी।