भगवान राम के वाटिका में पुष्प लेने पहुंचने पर सीता से मिलन के दृश्य को कलाकारों ने जीवंत कर दिया। सीता स्वयंवर में राजाओं की ओर से धनुष उठाने का प्रयास करने व राम के धनुष उठाने के बाद परशुराम का आगमन होने के दृश्यों को दर्शक देखते रह गए। राजा दशरथ के भगवान राम के राजतिलक की घोषणा करने के दृश्य पर जयकारे गूंज उठे। रामलीला में संगीतकार दिगम्बर व्यास, राजेन्द्र सिंह सोढा व पार्श्व गायक शीला कन्नौजिया ने स्वर दिया। निदेशक हरिचरण वैष्णव, सह निदेशक गणेश परिहार की उपिस्थति में घनश्याम भाटी, रोहित शर्मा, गोविंद गोयल, ज्ञानचंद राठौड, जीवराज चौहान, मांगुसिंह दुदावत, कृष्ण सैन, राजेश गोयल, जगन्नाथ आचार्य, अंकित शर्मा, सन्तोष वैष्णव, कंचन कानजानी, अंकिता आदि ने अभिनय किया।
माता सीता के चरणों से निकलता प्रभु राम को पाने का मार्ग: संत भगतराम
पाली। रतनेश्वर महादेव मंदिर में राम कथा करते हुए शनिवार को संत भगतराम शास्त्री ने कहा कि प्रभु राम को पाने का मार्ग माता जानकी की चरणों से निकलता है।
उन्होंने राम-सीता गठबन्धन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि बड़े-बड़े महापुरुष राम का छोर नहीं पा सके हैं। जानकी माता का आंचल पकड़ने वाला ही प्रभु राम का छोर पा सकता है। सीता भक्ति का स्वरूप है। सीता को छोड़कर राम को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। भरत ने जनकपुर में ही माता जानकी के चरण छू लिए तो चित्रकूट में उनको राम की चरण पादुका मिल गई थी। प्रवक्ता अम्बालाल सोलंकी ने बताया कि प्रवचन में लादुराम पंवार, चंद्रसिंह चम्पावत, गिरधारीसिंह राजपुरोहित, माधोसिंह चारण, श्यामसुन्दर जैथलिया, जेठाराम प्रजापत, चुनीदेवी प्रजापत, मांगीलाल राजपुरोहित आदि मौजूद रहे।