बोरनड़ी गांव में 22 जून को कुएं की मरम्मत के दौरान मजदूरी पर गया बालक नरेन्द्र कुआं ढहने से मलबे में दब गया था। सेना, पुलिस, श्रमिकों को रेस्क्यू के लिए बुलाया गया। शव उसकी मां इंद्रा देवी को सौंपा गया, लेकिन समाज बंधुओं व परिजनों ने मुआवजा मांगा। अधिकारियों ने समझाइश की। इस दौरान मेजर मनीष, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. तेजपाल सिंह, सीओ सोजत हेमंत जाखड़, उपखण्ड अधिकारी, बोरनड़ी सरपंच धनङ्क्षसह कुम्पावत, सवराड़ पूर्व सरपंच कैलाश मालवीय, पंचायत प्रसार अधिकारी भरतसिंह सोढ़ा, आरआई माधुराम, विक्रमसिंह कुम्पावत, रामेश्वरङ्क्षसह चौधरी, डॉ. महेन्द्र चौधरी, पटवारी अजयसिंह, सोजत रोड थानाधिकारी ऊर्जाराम, ग्राम विकास अधिकारी सुमेरङ्क्षसह, कैलाशचंद्र, रमेश मेवाड़ा, चेतनप्रकाश, भुण्डाराम, जगदीश कुमार, कैलाशचंद, ओमप्रकाश, कैलाशचंद्र, ढगलाराम, भैराराम, रमेशकुमार, किस्तुरलाल, पीरालाल, मांगीलाल सहित कई लोग मौजूद थे।
पाली में गल जाने व शरीर के अंग अलग अलग हो जाने, पत्थर व मिट्टी के नीचे दबने से शव पूरी तरह से बिखर गया था। इस कारण उसकी मां व बहनें उसका चेहरा नहीं देख पाई। मृतक नरेन्द्र पूरे परिवार में इकलौता लडक़ा था। नरेन्द्र के पिता सहित चार भाई थे, लेकिन सभी के पुत्रियां ही थी। नरेन्द्र इकलौता होने के कारण परिवार का लाडला भी था। पूरा परिवार शोक में था। बोरनड़ी सरपंच धनङ्क्षसह कुम्पावत ने परिजनों के सहयोग के लिए 50 हजार रुपए की राशि भेंट की और परिजनों का सांत्वना दी।
उच्च अधिकारीयों के आदेशानुसार सवराड़ पूर्व सरपंच कैलाश मालवीय के नेतृत्व में लगी 11 जनों की टीम ने इस रेस्क्यू कार्य मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्षेत्र के श्रमिक मिश्रीलाल नायक, दुर्गाराम नायक, महेन्द्रकुमार नायक, सुनील कुमार नायक, सुरेश कुमार नायक, मनीष नायक, सागर नायक, ओमप्रकाश नायक, पिन्टू नायक, जसवंत नायक, पीरू नायक ने अपने देशी जुगाड़ की सहायता से कुएं में से मलबा निकालने का कार्य शुरू किया, यह प्रयोग सफल रहा और 22वें दिन शव निकाला गया।
नरेंद्र की मां इंद्रा देवी मनरेगा में मजदूरी करती है। जबकि उसके पिता पप्पूराम की 14 साल पहले किसी बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। नरेंद्र भी 10वीं में पढ़ता था। कोरोना व लॉकडाउन की वजह से अभी स्कूल बंद थे। ऐसे में वह अपने दोस्त के साथ 500 रुपए की मजदूरी के लिए काम पर चला गया था। उसे कुएं में फर्मे लगाने के लिए उतारा गया, जहां कुआं ढह गया।
22 जून- सुबह करीब 11 बजे बोरनड़ी में कच्चे कुएं की मिट्टी ढहने से नरेन्द्र नायक कुएं में गिरा।
22 जून – शाम चार बजे रेस्क्यू शुरू हुआ।
23 जून -सांसद पीपी चौधरी मौके पर पहुंचे, जिला कलक्टर अंश दीप व एसपी कालूराम रावत से रेस्क्यू की जानकारी ली।
24 जून – जोधपुर से भारतीय सेना के 63 इंजीनियरिंग कोर के कर्नल प्रदीप के नेतृत्व में टीम जोधपुर से आई।
25 जून- सेना के मेजर मनीष के नेतृत्व में आपदा में काम आने वाली मशीनरी के साथ एक्सपर्ट टीम पहुंची तथा कर्नल प्रदीप की टीम वापस जोधपुर गई।
26 जून- कुएं से मलबा निकालने का काम शुरू किया।
29 जून – कुएं में गिरे भारी पत्थरों के कारण रेस्क्यू की गति कुछ कम हुई।
12 जुलाई – शाम को नरेन्द्र का शव दिखा।
13 जुलाई- दोपहर 12 बजे आधा शव निकाला।