बस ऑपरेटरों को यों मिला फायदा
-केन्द्र सरकार की नई परिवहन पॉलिसी-2019 के तहत किसी एक राज्य का परमिट है तो वह निश्चित शुल्क देकर देश के किसी भी राज्य में वाहन चलाने का परमिट ले सकता है। अब उसे हर राज्य का अलग से परमिट लेने की आवश्यकता नहीं है।
-जिस राज्य में ऑल इंडिया परमिट की बसें रजिस्टर्ड है वहीं का टैक्स चुकाना होता है। वन नेशन-वन टैक्स पॉलिसी के तहत यह नया प्रावधान किया गया है। यह पॉलिसी एसी और नोन एसी बसों के लिए लागू है।
-इस कारण राजस्थान से अन्य राज्यों में परिवहन करने वाली स्लीपर व वॉल्वो बसों के ऑपरेटर कम टैक्स वाले प्रदेशों से बसों का रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं।
ये हुआ असर
-कम टैक्स वाले राज्यों का राजस्व बढ़ा, लेकिन हमें हर महीने करोड़ाें का नुकसान हो रहा।
-बसों का रजिस्ट्रेशन शून्य हो गया। यानी, ऑल इंडिया परमिट के लिए नई बसों का अब हमारे यहां गिनी-चुनी बसों का ही रजिस्ट्रेशन हो रहा।
-पुरानी बसों की एनओसी धड़ल्ले से ली जा रही। इन बसों का भी अरुणाचल-नागालैण्ड से रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा।
एक नजर : कहां कितना टैक्स
राजस्थान – 37000
गुजरात – 35000
महाराष्ट्र – 36000
नागालैण्ड – 2000
अरुणाचल – 1800
(सालाना राशि करीब में)
कहां कितनी बसें अन्य राज्यों से रजिस्टर्ड
अजमेर – 27
अलवर – 01
भरतपुर – 01
बीकानेर – 18
चित्तौड़गढ़ – 134
जयपुर – 54
जोधपुर – 270
कोटा – 14
पाली – 72
सीकर – 129
उदयपुर – 167
दौसा – 04
(प्रादेशिक परिवहन कार्यालयों के आंकड़े)
एक्सपर्ट व्यू :
नए मोटरवाहन अधिनियम 2019 के संशोधन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुगम करने के प्रावधान किए गए हैं। इनके परमिट आसान कर दिए। नए नियमों में वाहन ऑपरेटरों को विकल्प दिया गया है कि वे किसी भी राज्य से अपना वाहन रजिस्टर्ड करा सकते हैं। ऐसे में जहां टैक्स स्लैब कम है वहां रजिस्ट्रेशन बढ़ गया। इसका फायदा बस ऑपरेटरों को मिल रहा। राज्य सरकार को भी ऑल इंडिया परमिट के वाहनों के लिए अपनी टैक्स पॉलिसी में संशोधन करना चाहिए, ताकि यहां राजस्व का नुकसान न हो।
गोपालदान चारण, सेवानिवृत्त अतिरिक्त परिवहन आयुक्त
नई परिवहन पॉलिसी लागू होने के बाद ऑल इंडिया परमिट के लिए बसों का रजिस्ट्रेशन हमारे यहां निल हो गया। अब ज्यादातर बसों का रजिस्ट्रेशन अन्य राज्यों से हो रहा है।
प्रकाशसिंह राठौड़, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, पाली