वह रास्ते के गांवों व शहरों में बस में चढ़ने वालों को पोश मशीन से टिकट तो काटकर दे देता है। यात्री को सीट पर बैठा देता है, लेकिन दो-तीन स्टैण्ड के बाद किसी सीट पर ऑनलाइन बुकिंग वाला पहुंचता है तो पहले से सवार यात्री उठने से इनकार कर देते हैं। इसके बाद बहस होती है। यह समस्या महज पाली डिपो की नहीं, पूरे प्रदेश की है। यह बात रोडवेज के अधिकारी भी मानते हैं।
सिस्टम में बड़ी खामी
रोडवेज के टिकट बुकिंग सिस्टम में बड़ी खामी है। उसमें बुक होने वाली सीटों की जानकारी अपडेट नहीं होती है। बस रवाना होने के बाद अगले बस स्टैण्ड पर पहुंचने तक कंडक्टर को ऑनलाइन बुकिंग की कोई जानकारी नहीं मिलती। ऐसे में वह यात्री को रास्ते में टिकट व सीट दे देते हैं।
यात्रियों को होती परेशानी
यात्री मनीष कुमार व बाबुलाल का कहना है कि ऑनलाइन टिकट बुक कराने के बावजूद यात्री को सीट नहीं मिलती है। बहस करनी पड़ती है। ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले के सीट रोककर बैठे यात्री दोनों को दिक्कत होती है। कंडक्टर को एक चार्ट दिया जाना चाहिए। बस स्टैण्ड की खिड़की व कंडक्टर की ओर से काटे जाने वाले टिकट पर भी सीट नंबर दिया जाना चाहिए। जो अभी नहीं दिया जाता है।
आधा घंटे पहले तक ही मान्य
ऑनलाइन बुकिंग टिकट गाड़ी के स्टैण्ड से रवाना होने से आधे घंटे पहले बुकिंग कराने पर ही वह मान्य है। बस में कंडटर आधे घंटे पहले का चार्ट देखकर ही टिकट व सीट देते हैं। गाड़ी के रवाना होने के बाद टिकट बुक होने पर कंडटर को उसका पता नहीं लगता है। इस कारण सीट की समस्या होती है। इसमें गलती पैसेंजर व कंडक्टर दोनों की नहीं है। - मोहन मीणा, प्रबंधक, रोडवेज डिपो, पाली