अभी उनके बच्चे, मित्र या पड़ोसी कोई भी पर्ची कटवाकर दवा ले आते थे, लेकिन अब उनको जाना होगा। जो संभव नहीं है। गौरतलब है कि आरजीएचएस में दो दिन पहले सरकार की ओर से मरीज की लाइव फोटो ली जा रही है। उसके बिना पर्ची नहीं कट रही। स्थिति यह है कि अधिक तकलीफ होने पर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को भी भर्ती करने से पहले फोटो खिंचवाने के लिए पर्ची काउंटर पर ले जाना पड़ता है। डिस्चार्ज करने पर फिर पर्ची काउंटर पर ले फोटो के लिए जाना पड़ रहा है।
मैं चल नहीं सकता, पर्ची कैसे मिलेगी
पाली के घरवाल जाव निवासी 81 साल के सेवानिवृत्त अध्यापक मूलचंद टेलर। उनके कमर व पांव की नसों में परेशानी है। इस कारण वे चल नहीं पाते हैं। घर की दहलीज लांघकर मुश्किल से बाहर आते हैं। वे कहते हैं सरकार ने आरजीएचएस में फोटो युक्त पर्ची का नियम बनाया। हम बुजुर्गों के लिए तो यह सजा के समान है। घर से निकलना मुश्किल है तो पर्ची कटवाने कैसे अस्पताल जाएंगे। बीपी, शुगर सहित नियमित चलने वाली दवा अभी तक कम से कम बेटे व पोते ले आते थे। जो अब नहीं मिलेगी।
आठ वर्ष से पैरालिसिस, अस्पताल कैसे जाएंगे
वृद्धजन सोहनलाल को सात वर्ष से पैरालिसिस है। वे घर के बाहर तक नहीं आ पाते हैं। उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी के घुटनों का ऑपरेशन कराने के बाद से उनको भी चलने में परेशानी है। बुजुर्ग लक्ष्मी ने बताया कि पैरालिसिस, खून पतला होने की, बीपी, शुगर सहित आदि की नियमित दवाइयां चलती है, जो लेने के लिए अब अस्पताल नहीं जा सकते हैं। उपचार कैसे होगा। इसे लेकर चिंतित हूं। वे कहती हैं अभी तो जिस डॉक्टर से उपचार चल रहा था। उनसे हर माह पर्ची लेकर बेटे-बहू आदि दवा लिखवा देते थे।