यह खतरनाक तत्व होते हैं
भोजन को कई लोग छपे हुए पेपर में भी पैक करते हैं यह खतरनाक है। स्याही में बायोएक्टिव सामग्री होती हैं, जो भोजन को दूषित कर करती हैं। सीसा और भारी धातु जैसे रसायन भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। समोसा या पकौड़े जैसे तले हुए खाद्य पदार्थों से अतिरिक्त तेल सोखने के लिए भी ऐसे कागज का उपयोग नहीं करना चाहिए।
एफएसएसएआई भी करता है मना
एफएसएसएआई यानी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की ओर से भोजन सामग्री को प्रिंटेड कागजों में पैक करने को लेकर चेतावनी दी गई है। इसके अनुसार प्रिंटिंग के लिए इस्तेमाल स्याही में मौजूद रसायन स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। इसलिए खाना पैक करने, परोसने और भंडारण में इनका इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
इस कारण नहीं बेहतर
कागज के कप में जिस प्लास्टिक फिल्म का उपयोग होता है, उसे पीएलए कहते हैं। यह एक प्रकार का बायो प्लास्टिक होता है। बायो प्लास्टिक रिन्यूएबल स्रोतों से बनाए जाते हैं। इन्हें बनाने में फॉसिल फ्यूल का उपयोग नहीं किया जाता है। पीएलए को बायो डिग्रेडेबल कहा जाता है, फिर भी टॉक्सिक हो सकता है। डॉ. सुखदेव चौधरी, सहायक आचार्य, मेडिकल कॉलेज, पाली
मिल जाते है माइक्रोप्लास्टिक के कण
प्लास्टिक या प्लास्टिक के कप से माइक्रोप्लास्टिक भोजन या चाय-काफी में चला जाता है। एक कप में 100 एमएल गर्म चीज डालने पर 25 हजार माइक्रोप्लास्टिक के कण मिल जाते है। ये कई तरह के रोग पैदा करते है। पेपर कप से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इन कपों से नालियां भी चोक हो जाती हैं। ये नदी, तालाब तक भी पहुंच जाते हैं। इसकी जगह चीनी कप या मिट्टी के कुल्हड़ का उपयोग किया जाना चाहिए। डॉ. पंकज माथुर, फिजिशियन, बांगड़ मेडिकल कॉलेज, पाली