इनको दी गई है छूट
- बेड रेस्ट वाले मरीज को केवल तभी बिस्तर पर पड़ा माना जाएगा, जब वह किसी बड़ी बीमारी से ग्रसित हों, न कि किसी अस्थायी कारण जैसे किसी दुर्घटना के कारण। इसके लिए निजी आरजीएचएस सूचीबद्ध अस्पताल के संस्थान प्रमुख या अस्पतालों, सेटेलाइट अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के लिए यूनिट हेड/सीएमएचओ/पीएमसी की ओर से सत्यापित डॉक्टर से हस्ताक्षरित और मुहरबंद प्रमाण पत्र जरूरी होगा। इस प्रारूप में प्रमाण पत्र ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में जमा किया जा सकता है। ऐसे मरीज की ओर से अस्पताल आने वाले व्यक्ति के साथ संबंध बताने वाला एक पहचान पत्र जमा करना होगा।
- 75 वर्ष या उससे अधिक आयु के रोगियों के लिए आरजीएचएस प्रणाली में ओपीडी परामर्श पर अनिवार्य लाइव फोटो पर छूट दी गई है। यह सभी सरकारी इकाइयों जैसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिला अस्पताल, सैटेलाइट अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी पर लागू होगी।
इनका कहना है
आरजीएचएस के तहत अस्पताल में आने वाले मरीजों को आयु व गंभीर रोग के तहत छूट प्रदान की गई है। उनको लाइव फोटो खिंचवाने की जरूरत नहीं है।
शिप्रा विक्रम, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आरजीएचएस, जयपुर
बुजुर्गों के प्रति नहीं संवेदनशील
राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) में सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। आरजीएचएस में सरकार की ओर से दिसम्बर में लाइव फोटो अनिवार्य करने के कारण सेवानिवृत्त बुजुर्ग मरीजों के सामने संकट खड़ा हो गया। उनके हर माह मधुमेह, बीपी, किडनी रोग जैसे लगातार चलने वाली दवा लेना मुश्किल हो गया। उसके लिए भी अस्पताल आना अनिवार्य हो गया। उससे अभी 75 साल से नीचे के मरीजों को राहत नहीं मिली है। इसमें पहले 72 साल के मरीजों को छूट दिया जाना तय किया गया था, लेकिन सरकार ने उसे बदलकर 75 साल कर दिया। जबकि कई मरीज ऐसे हैं जो 65-70 साल की उम्र के बीच हैं और चलने-फिरने में उनको दिक्कत होती है। उनको नए आदेश में भी छूट नहीं दी गई है।
सरकार को करना चाहिए विचार
बुजुर्ग दिनेश दवे का कहना है कि सरकार को कम से कम 70 साल के बुजुर्गों को छूट प्रदान करनी चाहिए। जिससे उनको कम से कम नियमित चलने वाले दवाओं के लिए तो अस्पताल नहीं आना पड़े। आऊवा से आए 72 साल के बुजुर्ग ने कहा कि मुझे 50-60 किमी की दूरी से अस्पताल आना पड़ रहा है। जबकि दवा में कोई बदलाव नहीं है। पत्नी को लाना तो संभव नहीं हो रहा। उनका कहना था कि हमारे प्रति सरकार संवेदनशील नहीं है।