script…फिर भी नहीं धुला ‘कलंक’, प्यासी है बांडी | Bandi river still thirsty in Pali Rajasthan | Patrika News
पाली

…फिर भी नहीं धुला ‘कलंक’, प्यासी है बांडी

– गोरमघाट की पहाडिय़ों से निकलती है नदी

पालीSep 12, 2020 / 09:01 am

Suresh Hemnani

...फिर भी नहीं धुला ‘कलंक’, प्यासी है बांडी

…फिर भी नहीं धुला ‘कलंक’, प्यासी है बांडी

पाली। कपड़ा नगरी के नाम से विख्यात पाली शहर बांडी नदी के किनारे बसा हुआ है। अरावली की पर्वत शृंखलाओं से निकलकर मारवाड़ की धरा तक पहुंचते-पहुंचते इसका इतिहास जरूर स्याह है। तभी इसकी पहचान देश की सर्वाधिक प्रदूषित नदी के रूप में होती है। शहर के आसपास नदी में अक्सर पानी देखा जाता रहा है लेकिन रंग-बिरंगा। बारिश के मौसम में जब भी इन्द्रदेव की मेहर होती है तो बांडी कई बार अपने असली रूप में होती है।
गोरमघाट की पहाडिय़ों से निकलती है नदी, फुलाद बांध से नेहड़ा बांध तक का सफर
गोरमघाट की पहाडिय़ों से निकलकर बांडी का पानी फुलाद बांध तक पहुंचता है। फुलाद से आगे बढ़ती हुई यह पाली शहर के किनारे से होकर रोहट क्षेत्र के नेहड़ा बांध तक पहुंचती है। नेहड़ा के बाद धुंधाड़ा गांव में यह लूणी नदी में मिल जाती है। करीब सौ किलोमीटर तक नदी का बहाव क्षेत्र है। पिछले डेढ़ दशक में बांडी महज पांच बार ही पूरे वेग से बही। खासतौर से पिछले साल करीब एक माह तक बांडी में पानी बहता रहा। सिंचाई विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2007, 2015, 2016, 2017, 2019 में नदी पूरे वेग से बही थी।
औसत से ज्यादा बारिश, फिर भी बांडी प्यासी
जिले में बारिश का आंकड़ा औसत से ऊपर पहुंच चुका है। फिर भी बांडी इस बार प्यासी ही है। मानसून अंतिम चरण में है। जिले में अन्य कई नदियां वेग से बही। बांध और तालाब ओवरफ्लो हो गए, लेकिन बांडी अब भी पानी को तरस रही है। बांडी में जब भी पानी आता है इसका कलंक धुल जाता है। बांडी के किनारे बसे कई गांवों के किसान भी मायूस है। नदी बहने से कुओं का जलस्तर भी ऊपर उठता है। फोटो : सुरेश हेमनानी/दिनेश हिरल

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