एफएटीएफ की कार्य योजना के 27 लक्ष्यों को पूरा करने में नाकाम रहने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ यह कदम उठाया गया है। पाकिस्तान 27 बिन्दुओं में से 6 का अनुपालन करने में असफल रहा है।
बता दें कि आतंकवाद के खिलाफ वित्तपोषण और धनशोधन यानी मनी लॉंड्रिंग को रोकने व निगरानी के लिए बनी संस्था FATF की बार्षिक बैठक पेरिस में डिजिटल माध्यम से हुई। इस बैठक में सभी 27 कार्य बिन्दुओं की समीक्षा की गई, जिसके बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला लिया गया।
2018 से ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान
आपको बता दें कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहने के बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ सूची में डाला था। इसके बाद FATF ने पाकिस्तान से कहा था कि आतंकवादियों के धन शोधन और वित्तपोषण को रोकने के लिए तय किए गए 27 बिंदुओं की कार्य योजना को 2019 के अंत तक पूरा करें। हालांकि, इसके बाद कोरोना महामारी के कारण पाकिस्तान को अक्टूबर 2020 तक का वक्त दिया गया था।
पाकिस्तान को पिछले साल ग्रे लिस्ट में डाला गया था
एफएटीएफ का फैसला ऐसे समय में आया है, जब इमरान खान पूरी दुनिया में ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है और किसी भी तरह के आतंकी गतिविधियों को पाकिस्तान से अंजाम नहीं दिया जा रहा है।
बदहाल पाकिस्तान पर FATF ने फिर चलाया डंडा! लगाई कुछ नई शर्तें
इमरान खान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिशों के बीच पिछले अगस्त महीने में 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदी लगाई थी, इनमें मुंबई हमले का सरगना और जमात-उद दावा प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम भी शामिल है।
ऐसे में अब पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ ( Pakistan In Gray List ) में बरकरार रखने का फैसला इमरान खान के लिए एक बड़ा झटका है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान के फरवरी 2021 तक ‘ग्रे लिस्ट’ में बने रहने की संभावना है।