चुनाव होने और नई सरकार के गठन तक इमरान खान पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे। इससे पहले इमरान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने खारिज कर दिया और सदन में वोटिंग नहीं होने दी है। इसके साथ ही पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है। संसद की अगली बैठक 25 अप्रैल को आयोजित की जाएगी।
इस कार्यवाही के दौरान इमरान खान नेशनल असेंबली में मौजूद नहीं थे। सदन से अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के तुरंत बाद इमरान ने देश के नाम संबोधन दिया और संसद भंग करने की सिफारिश कर दी। जिसपर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने तत्काल अपनी मुहर लगा दी।
इस तरह से पिछले कई हफ्तों से विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से बच रहे प्रधानमंत्री इमरान खान फिलहाल अपना पद बचाने में सफल रहे हैं। हालांकि, संसद भंग की राष्ट्रपति की मंजूरी को असंवैधानिक बताते हुए विपक्ष ने सुपक्ष कोर्ट का रुख किया है।
अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट विपक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच का गठन किया है। ऐसे में कह सकते हैं कि अभी पाकिस्तान में सियासी घमासान जारी रहेगा।
अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद विपक्षी नेताओं ने उग्र रूप धारण कर लिया है। वो संसद में ही डेरा जमाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि करीब 6 हजार सिक्युरिटी पर्सन संसद की सुरक्षा के लिए वहां मौजूद हैं। इधर, शहबाज शरीफ ने इमरान खान पर हमला बोलते हुए कहा कि वो गद्दार हैं। देश को विभाजित करने और देश को गृहयुद्ध की ओर धकेलने का काम किया है।
आपको बता दें कि इमरान खान को सरकार में बने रहने के लिए 342 सदस्यीय नैशनल असेंबली में 172 वोटों की जरूरत थी। विपक्ष पहले ही दावा कर चुका है कि उसके पास 175 सांसदों का समर्थन है। सरकार में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की प्रमुख सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (MQM-P) ने उनसे किनारा कर लिया।
करीब दो दर्जन सांसद पहले ही इमरान के खिलाफ वोट करने के संकेत दे चुके थे। इमरान की अपनी पार्टी पीटीआई के भी कई सांसदों ने भी बगावती तेवर दिखाए हैं। इस तरह इमरान अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही एक तरह से बहुमत खो चुके हैं।