पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ( Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi ) ने कहा कि 15 जून को लद्दाख क्षेत्र में भारत-चीन के बीच हुए टकराव के बाद से पाकिस्तान चिंतित है, क्योंकि इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं, और इस घटना में पाकिस्तान को घसीटने की संभावना थी।
कुरैशी ने गुरुवार को इस्लामाबाद ( Islamabad ) में अपने मंत्रालय में एक साक्षात्कार में कहा ‘चीजें अब खराब हो गई हैं और हालात बहुत नाजुक है।’ उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस तीन पड़ोसी देशों के पास हिमालय के उच्चाई वाले क्षेत्रों में सीमा निर्धारण को लेकर एतिहासिक विवाद है।
उन्होंने कहा कि कई सालों से भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद ( India Pakistan Tension ) को सबसे खतरनाक माना जाता रहा है, लेकिन अब भारत-चीन सेना के बीच हुए हिंसक घटना ने नए सिरे से अलार्म बजा दिया है।
भारत के आरोप निराधार: कुरैशी
आपको बता दें कि इससे पहले मंगलवार को कुरैशी ने भारत की निंदा करते हुए कहा था कि पाकिस्तानी राजनयिकों ( Pakistani Diplomates ) पर जासूसी के आरोप निराधार हैं। पाकिस्तानी दूतावास के कर्मचारियों की संख्या को आधे करने के फैसले पर भारत की आलोचना करते हुए कुरैशी ने कहा था कि भारत चीन विवाद से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा था कि लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना ( Chinese Army ) के बीच जो हुआ, उसका जवाब भारत के पास नहीं है। इसलिए अपने लोगों के रोष और असंतोष को शांत करने के लिए पाकिस्तान को इसमें घसीटा जा रहा है। कुरैशी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ ‘फॉल्स प्लैग ऑपरेशन’ कर सकता है।
अफगानिस्तान में भारत के बढ़ रहे कद से पाकिस्तान को लगी मिर्ची, कुरैशी बोले- हस्तक्षेप मंजूर नहीं
कुरैशी ने यह भी कहा था कि यदि भारत ने किसी भी तरह से पाकिस्तान पर हमला करने की कोशिश करता है तो हम मजबूती के साथ करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं।
कुरैशी ने की चीन की तारीफ
बता गें कि कुरैशी ने कहा कि लद्दाख के उपरी सीमावर्ती इलाकों में चीन की स्थिति का पाकिस्तान समर्थन करता है। इसको लेकर उन्होंने चीनी समकक्ष वांग यी से फोन पर बात की थी और उनकी प्रशंसा की थी। चीन और पाकिस्तान के बीच काफी लंबे समय से राजयनियक और आर्थिक संबंध मजबूत रहे हैं।
यही कारण है कि चीन ने चीन ने पाकिस्तान के मध्य में बेल्ट एंड रोड ( Belt and Road ) पहल के लिए लगभग 60 बिलियन डॉलर की परियोजनाओं का वादा किया है। इस परियोजना के माध्यम से पूरे एशियाई देशों को एक साथ जोड़ने और समुद्री व्यापार मार्गों को विकसित करने की पहल की जा रही है।