मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फराज ने कहा है कि मौजूदा वक्त में भी लोगों को लगता है कि संगीत एक साइड बिजनेस है। संगीत के साथ जुड़े लोगों के साथ भी भेदभाव किया जाता है। मुझे याद है कि एक म्यूजिक स्टूडियो खोलने के लिए मुझे कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
फराज ने बताया कि 2005 में जब मैं स्टूडियो के लिए जगह तलाश रहा था तो लोग कहते कि वह बहुत इस्लामिक हैं और वे स्टूडियो के लिए जगह नहीं दे सकते हैं। कराची में घर खोजते वक्त भी मुझे इन सवालों का सामना करना पड़ा था।
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फराज ने आगे बताया है कि मुझे एक बार बैंक अकाउंट खोलने से भी मना कर दिया गया था। मुझे बताया गया कि चूंकि मैं एक म्यूजिक आर्टिस्ट हूं इसलिए आपका अनुरोध खारिज कर दिया गया है। फिर मैंने उस बैंक कर्मचारी से पूछा कि क्या मैं काफिर हूं? तो उन्होंने हां में जवाब दिया था।
उन्होंने आगे बताया है कि जब मैं अपने भारतीय प्रशंसकों से मिलता हूं तो मेरे पांव छूते हैं लेकिन अपने देश पाकिस्तान में मुझे काफिर कहा जाता है। मैंने कई बार कुरान को अलग-अलग अनुवाद के साथ पढ़ा है और उसमें कहीं भी संगीत को खराब नहीं बताया गया है।
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फराज ने कहा है कि धर्म के ठेकेदारों को लगता है कि संगीत से जुड़े लोग उनका पर्दार्फाश कर सकते हैं। वे हर चीजों पर पूरी तरह से कंट्रोल चाहते हैं। जुनैद जमशेद को एयरपोर्ट थप्पड़ मारा गया, लोग खड़े होकर देखते रहे। अमजद साबरी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई और किसी ने कुछ नहीं कहा। मुस्लिम संगीतकारों को अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।