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Patrika Interview: युवाओं के लिए भारतीय टीम के दरवाजे खोल सकती है हॉकी इंडिया लीग- अमित रोहिदास

हॉकी इंडिया लीग में तमिलनाडु ड्रैगन्स के लिए खेलने जा रहे अमित रोहिदास ने ‘पत्रिका’ से खास बातचीत में कहा कि यह लीग युवा खिलाडि़यों के लिए वरदान है और उनके लिए राष्ट्रीय टीम के दरवाजे खोल सकती है।

नई दिल्लीDec 24, 2024 / 08:09 am

lokesh verma

Amit Rohidas
सौरभ कुमार गुप्ता. टोक्यो के बाद पेरिस ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के अहम सदस्य अमित रोहिदास का मानना है कि अनुुशासन के कारण उन्हें करियर में सफलता मिली है। 28 दिसंबर से शुरू होने वाली हॉकी इंडिया लीग (FIH) में तमिलनाडु ड्रैगन्स के लिए खेलने जा रहे अमित ने ‘पत्रिका’ से खास बातचीत में कहा कि यह लीग युवा खिलाड़ियों के लिए वरदान है और उनके लिए राष्ट्रीय टीम के दरवाजे खोल सकती है।

टोक्यो के बाद पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने का अनुभव कैसा रहा?

लगातार दो बार ओलंपिक पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा था। यह एक ऐसी खुशी है, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। हालांकि यह सफर आसान नहीं था लेकिन टीम के एकजुट प्रदर्शन से हम टोक्यो के बाद पेरिस में भी कांस्य पदक जीतने में सफल रहे।

टीम में कौन सी कमियां हैं, जिनमें सुधार की जरूरत है?

पहले के मुकाबले हमारी टीम ने खेल के सभी विभाग में काफी सुधार किया है, लेकिन अभी कुछ क्षेत्र हैं, जिसमें काफी सुधार करने की जरूरत है। खासतौर पर ज्यादा से ज्यादा गोल कैसे किए जाएं, इस पर हम काफी काम कर रहे हैं। पेनल्टी कॉर्नर पर भी हमें काफी मेहनत करने की जरूरत है और हम कर भी रहे हैं।

हॉकी इंडिया लीग में खेलने से आपके खेल में कितना सुधार हुआ है?

यह एक ऐसी लीग है, जिसमें आपको देश और विदेश के विभिन्न खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिलता है। जब आप विदेशी खिलाड़ियों के साथ समय बिताते हैं तो इससे नाम सिर्फ आपके खेल में सुधार होता है बल्कि आपका व्यक्तित्व भी निखरता है। हॉकी इंडिया लीग का स्तर विश्व स्तरीय हैं और इससे आपको बड़े टूर्नामेंट की तैयारी करने का भी अवसर मिलता है।
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इस लीग से भारतीय हॉकी को कितना फायदा हो सकता है?

यह लीग खासतौर पर युवा खिलाड़ियों के लिए वरदान की तरह है। इस मंच पर युवाओं को विश्व स्तरीय और दिग्गज खिलाडिय़ों के साथ खेलने का मौका मिलता है। इससे उनकी स्किल में सुधार होता है और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। इन्हीं युवाओं में से कई खिलाड़ियों के लिए भारतीय टीम का दरवाजा भी खुल जाता है। 

आपने विदेशी खिलाड़ियों के खेल से क्या सीख ली है?

भारत और विदेशी खिलाड़ियों के खेलने के स्टाइल में थोड़ा बहुत अंतर तो होता है। जब हम एक-दूसरे से मिलते हैं तो हम जानकारियां साझा करते हैं। सिर्फ हम नहीं बल्कि विदेशी खिलाड़ी भी हमसे काफी कुछ सीखते हैं।

आप 200 मैच खेल चुके हैं। अब भविष्य की क्या योजनाएं हैं?

अभी मेरा फोकस सिर्फ देश के लिए ज्यादा से ज्यादा मैच खेलना और गोल करना है। मैंने इसके अलावा और कोई योजना नहीं बनाई है। जब मेरा करियर खत्म होगा, उसके बाद सोचेंगे कि आगे क्या करना है।

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