कब और कैसे शुरू हुआ यह खेल…
खो-खो एशिया महाद्वीप का बेहद ही प्राचीन खेल है। भारत में कबड्डी के बाद यह गांव में खेला जाने वाला दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल है। माना जाता है कि यह खेल महाभारत के समय का है। हालांकि प्रमाणिक तौर पर इस खेल को चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से खेला जा रहा है। भारत में यह खेल महाराष्ट्र से शुरू हुआ।
1914 में पहली बार बनाए गए नियम
आधिकारिक रूप से खो-खो के लिए नियम और उसकी सरंचना पहली बार 1914 में पुणे के डेक्कन जिमखाना क्लब ने की थी। वहीं, खो-खो की पहली नियम पुस्तिका बाल गंगाधर तिलक ने लिखी थी। 1936 के बर्लिन ओलंपिक में खो-खो को प्रदर्शनी खेलों के तौर पर शामिल किया या था। टीम की सरंचना
– 15 – खिलाड़ी टीम में चुने जाते हैं, 12 मैदान पर उतरते हैं। – प्रत्येक टीम में 12-12 खिलाड़ी मैदान पर उतरे हैं। इसमें से 9-9 खेलते हैं और 3-3 अतिरिक्त में होते हैं।
– मैच में प्रत्येक टीम को 7-7 मिनट की दो-दो पारियां मिलती हैं। एक पारी में डिफेंस करना होता है और एक में अटैक करना होता है।
वजीर सबसे अहम खिलाड़ी…
खो-खो विश्व कप में एक नई पोजिशन की शुरुआत की गई है, जिसे वजीर कहते हैं। शतरंज की तर्ज पर यह वजीर किसी भी दिशा में मूव कर सकता है। भारतीय पुरुष टीम के कप्तान प्रतीक वाइकर वजीर की भूमिका में होंगे।
एशियन और ओलंपिक में शामिल कराना लक्ष्य
भारतीय खो-खो फेडरेशन के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने बताया कि अभी इस खेल को दुनिया में 55 देश खेलते हैं। अगले साल के आखिर तक इनकी संख्या 90 खेल हो जाएगी। हमारा लक्ष्य इन खेलों को 2030 तक एशियन और 2032 तक ओलंपिक खेलों में शामिल कराना है।
कई बड़े सितारे जुड़े
दो बार के ओलंपिक पदक विजेता भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा और बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान का नाम भी इस इवेंट से जुड़ गया है। सलमान खान खो-खो विश्व कप के ब्रांड एंबेसडर हैं।