स्पांसर नहीं मिले तो आधा एकड़ जमीन बेच दी
29 वर्षीय रवि का जन्म विशाखापत्तनम के चिरिकिवनिपालेम गांव में हुआ। उनके माता-पिता किसान हैं और उनके पास खेती के लिए काफी कम जमीन है। लेकिन, बेटे को अंतरराष्ट्रीय एथलीट बनाने के लिए उन्होंने काफी सहयोग किया। रवि के पिता डेमुडु बाबू ने कहा, हम कभी अपने बेटे के बौनेपन पर दुखी नहीं हुए। रवि की बचपन से ही खेलों में रुचि थी। उसने स्थानीय प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन उसे वित्तीय मदद नहीं मिल रही थी। जब उसे स्पांसर नहीं मिले तो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए हमने अपनी आधा एकड़ जमीन बेच दी।
सिर्फ शॉट पुट नहीं, बैडमिंटन और भालाफेंक में भी पारंगत
रवि सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि कई विधाओं में पारंगत हैं। उन्होंने भले ही पैरालंपिक खेलों में शॉट पुट स्पर्धा का कोटा हासिल किया है, लेकिन वह बैडमिंटन और भाला फेंक में भी कई पदक जीते हैं। उन्होंने 2022 में पुर्तगाल में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए भाला फेंक और शॉटपुट में दो पदक जीते। इससे पहले, 2021 में बेंगलुरु में तीसरी विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाला फेंक में स्वर्ण और शॉट पुट में रजत पदक जीता था।
कड़ी मेहनत से पेरिस तक का सफर तय किया
अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद रवि का सपना पेरिस पैरालंपिक खेलों में प्रतिनिधित्व करना था, जो अब पूरा होने जा रहा है। रवि ने कहा कि एशियाई खेलों में भाग लेने और अपनी ताकत और क्षमताओं को साबित करने के बाद मेरा लक्ष्य पेरिस पैरालंपिक का कोटा हासिल करना था। मुझे खुशी है कि मैं ऐसा कर पाया और अब मेरी कोशिश देश के लिए पदक जीतने पर होगी।