अस्पतालों में उपयुक्त प्रबंधन की आवश्यकता है। वहां आग नियंत्रण के लिए आवश्यक यंत्रों की व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसे स्थानों के आसपास एक छोटी फायर ब्रिगेड की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे आग बुझाने में देरी न हो।
-राकेश मोहनलाल कुमावत, देवास, मध्यप्रदेश
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झांसी के मेडिकल अस्पताल में कई नवजात शिशुओं की मौत की खबर ने एक बार फिर अस्पतालों की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। कहीं न कहीं तो लापरवाही हुई है। ऐसे हादसों को रोका जा सकता है। इसके लिए नियमित रूप से विद्युत लाइनों की जांच हो,जिससे क्षमता से ज्यादा भार नहीं पड़े और फाल्ट न हो।
-निर्मला देवी वशिष्ठ राजगढ़
अस्पताल में आग से नवजात शिशुओं की मौत जैसी ह्रदय विदारक घटना ने प्रशासनिक लचरता एवं राजनीतिक प्रभुत्व के मध्य एक आम आदमी की बेबसी को स्पष्ट किया हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए अस्पताल प्रशासन को अग्निशमन संयंत्रों की व्यवस्था करने के साथ सजग और सक्रिय रहना होगा।
-विनायक गोयल, रतलाम, मप्र
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अस्पतालों में अस्पताल के प्रत्येक वार्ड में अग्निशमन यंत्र रखे जाएं और बड़े अस्पतालों के अहाते में दमकल गाड़ी चौबीस घंटे उपलब्ध रहे। गुणवत्तापूर्ण वायरिंग भी सुनिश्चित हो जिससे जीवन रक्षक केंद्र जीवन भक्षक केंद्र नहीं बनें। बड़े अस्पतालों में फायर सेफ्टी विभाग भी होना चाहिए।
-मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
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अस्पतालों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए अग्निशमन उपकरण पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने चाहिए और उनका नियमित रखरखाव करना चाहिए। साथ ही अस्पताल के सभी कर्मचारियों को आग बुझाने के उपकरण चलाने और आग से निपटने के लिए समय- समय पर बेहतर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्हें आपात स्थिति में उठाए जाने वाले सुरक्षा उपायों के लिए बेहतर मार्गदर्शन देना चाहिए। -प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर
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झांसी के अस्पताल में नवजात शिशु इंटेंसिव केयर यूनिट में आग लग जाने से 11 नवजात शिशुओं की जल जाने से मोती हो गई। कुछ बच्चे बुरी तरह झुलस गए, जिनका इलाज जारी है। ऐसे हादसे रोकने के लिए अस्पताल प्रशासन को नयमित रूप से इलेक्ट्रिक वायरिंग की जांच करवाते रहना चाहिए। घटना के वक्त इमरजेंसी अलार्म तक नहीं बजा इसे देखते हुए जिम्मेदार कर्मचारियों को दंडित किया जाना चाहिए। -मधु सुभाष बुड़ावन, वाला, रतलाम