कनाडा एक तरह से खालिस्तान समर्थकों का आश्रय-स्थल बन गया है। भारत ने कई बार इसे लेकर चिंता जताई है, पर बात नहीं बन रही है। ताजा घटनाक्रम यह है कि कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में नगरकीर्तन के दौरान इंदिरा गांधी हत्याकांड की झांकी निकाली गई। इसमें दो सिखों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह को गोली मारते दिखाया गया। हैरत की बात है कि पांच किलोमीटर लंबी इस झांकी पर वहां का शासन-प्रशासन मौन बना रहा। यहां तक कि प्रधानमंत्री ट्रूडो के सुरक्षा सलाहकार को जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाना पड़ रहा है, जबकि उन्हें तो ट्रूडो को सलाह देकर कार्रवाई करनी चाहिए। इस घटना के सामने आने के बाद भारत सरकार की तीखी प्रतिक्रिया जायज है। विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने साफ शब्दों में कनाडा सरकार को बता दिया है कि ऐसी घटनाओं के कारण दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़ सकता है। कांग्रेस नेताओं ने भी घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह एक ऐसी घटना है जिसमें बगैर किसी राजनीति के पक्ष व विपक्ष दोनों के सुर का एक होना जरूरी है। ऐसा ही दिखा भी।
बीते कुछ समय से विदेश में ही नहीं, देश में भी कथित खालिस्तानी गतिविधियां बढ़ी हैं। ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर पिछले दिनों स्वर्ण मंदिर में भी खालिस्तान समर्थक नारे लगाए गए थे। पंजाब में पिछले कुछ सालों में कई ऐसी हत्याएं हुई हैं, जिन्हें खालिस्तानी हरकत के रूप में देखा जा रहा है। पर दुर्भाग्य से ऐसी कोई कठोर कार्रवाई होती नहीं दिख रही जिससे कड़ा संदेश जा सके। पंजाब में राष्ट्रीय हितों से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। वोटबैंक की राजनीति सिर्फ कनाडा में ही नहीं, भारत में भी मर्यादाओं का उल्लंघन कर रही है। इसलिए यह जरूरी है कि शांति के लिए खतरा बनने वाली हर गतिविधि से समय रहते ही निबटा जाए।