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Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: इस रचना क्रम का न आदि है, न अन्त। यह सदा एक-सा है। एक ही नियम से विश्व का निर्माण हुआ है। आगे भी होता रहेगा। बीज ही फल बनता है। आत्मा को समझ लेना ही बीज को समझना है। आत्मा आकाश की तरह सर्वत्र व्याप्त है। प्रकाश स्वरूप है, शुद्ध शुक्र रूप है। … ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- बीज
जयपुर•May 31, 2024 / 10:46 pm•
Gyan Chand Patni
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ओपिनियन
शरीर ही ब्रह्माण्ड: पिता ही परमपिता
27 minutes ago