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Leadership: सही समय पर सही निर्णय से ही सफलता

परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को तेजी से करें अनुकूलित

Nov 20, 2023 / 11:49 pm

Nitin Kumar

Leadership: सही समय पर सही निर्णय से ही सफलता

Leadership: सही समय पर सही निर्णय से ही सफलता

प्रो. हिमांशु राय
निदेशक, आइआइएम इंदौर
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एक लीडर एक अन्वेषक की भूमिका कैसे निभाता है और कैसे प्रयोजनशील कौशल से भी लैस होता है, यह हमने उभयदक्षता की चर्चा में जाना। यह एक ऐसी नेतृत्व शैली है जिसमें लीडर किसी भी स्थिति में दोनों भूमिकाओं में संतुलन बनाए रखने की आवश्यक को समझता है। इस शैली में कुछ कौशल और क्षमताएं आवश्यक होती हैं जो इसके पीछे की अवधारणा को सफल बनाने वाले कारक हैं और दोनों भूमिकाओं में संतुलन बनाए रखते हैं। आइए, जानते हैं ये कौन-से कौशल हैं, इनके क्या लाभ हैं –
अनुकूलित निर्णय लेना: सही समय पर उचित निर्णय लेना अन्वेषण और प्रयोजनशीलता के निरंतर बदलते परिदृश्य में लीडरों के लिए अति आवश्यक है और उनका मार्गदर्शन करता है। एक सफल लीडर को उभयदक्षता नेतृत्व शैली को अपनाते हुए विभिन्न प्रकार के विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए, और उन्हें समझते हुए सभी विकल्पों के लिए खुले दिमाग से सोचना चाहिए। साथ ही परिस्थितियों के अनुसार अपनी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को तेजी से अनुकूलित करने की क्षमता होनी चाहिए। यह क्षमता न केवल संगठनात्मक लक्ष्यों के साथ संरेखण सुनिश्चित करती है बल्कि नवाचार और दक्षता के निर्बाध एकीकरण की सुविधा भी देती है।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता: इमोशनल इंटेलिजेंस यानी भावनात्मक बुद्धिमत्ता दूसरों के साथ सहानुभूति रखने की कला है। इसके अंतर्गत एक लीडर अपनी भावनाओं को समझने और प्रबंधित करने की क्षमता रखता है और यही प्रभावी नेतृत्व की आधारशिला है। यह कौशल लीडरों को कार्यस्थल पर मजबूत रिश्तों को बढ़ावा देने, संघर्षों को सुलझाने और टीम सदस्यों के बीच विश्वास व सहयोग को प्रेरित करने में मदद करता है। यह एक ऐसा वातावरण बनाने की कला है जहां भावनात्मक भलाई अन्वेषण और प्रयोजन दोनों के साथ संरेखित होती है।
सहयोग और टीम निर्माण: उभयदक्षता शैली वाले नेतृत्व में सहयोग व टीम निर्माण सद्भाव के साधन बन जाते हैं। लीडरों को कुशल संचालक होना चाहिए और ऐसी टीमों का निर्माण करना चाहिए जो नवीनता व स्थिरता के माहौल में भी एक साथ, एक लक्ष्य के प्रति अग्रसर हों और सफल भी हों। समूहों में एकता और सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित करने की यह क्षमता दक्षता को बनाए रखते हुए रचनात्मक विचारों को जीवन में लाने की कुंजी है। इससे सभी कर्मचारी अपने-अपने स्तर पर बेहतर कार्य करते हैं और सही टीम में जुडऩे से समग्र लक्ष्य प्राप्त करने में भी लाभ मिलता है।
संघर्ष प्रबंधन: उभयदक्षता शैली वाले नेतृत्व में संघर्ष प्रबंधन यानी क्राइसिस मैनेजमेंट का ज्ञान जरूरी है। लीडरों को कार्यात्मक संघर्षों (जो प्रक्रियाओं व कार्यों पर आधारित होते हैं) को प्रोत्साहित करना चाहिए, जो नए विचारों को बढ़ावा देते हैं, नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं। उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि छोटे संघर्षों (जो कार्य के बजाय व्यक्तिपरक होते हैं) को हल किया जाए, क्योंकि ये संतुलन में बाधा उत्पन्न करते हैं। संतुलन बनाए रखने से अराजकता को रोक कर विकास के लिए प्रयास किया जा सकता है।
परिवर्तन प्रबंधन में विशेषज्ञता: परिवर्तन प्रबंधन विशेषज्ञता यानी चेंज मैनेजमेंट में ज्ञान और कौशल भी इस नेतृत्व शैली की आधारशिला है। अन्वेषण और प्रयोजन के बीच संतुलन में अक्सर परिवर्तन शामिल होता हैं। इसलिए जरूरी है कि लीडर एक कुशल नाविक की भूमिका निभाते हुए, जहाज रूपी संगठन को स्थिर बनाए रखे और परिवर्तनों को अपनाते हुए टीमों का संचालन करे। संगठन की दृष्टि को स्पष्ट करने, प्रतिरोध का प्रबंधन करने और प्रणालियों और प्रक्रियाओं के अनुकूलन को सुविधाजनक बनाने की लीडर की क्षमता सफल उभयदक्षता का सार है।

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