Jammu Kashmir Elections: ‘फ्रीडम चाचा’ जेल से दे रहा है Ex CM को चुनौती, आतंकी बुरहान वानी का था करीबी रिश्ता
Jammu Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में गांदरबल विधानसभा सीट की खासी चर्चा है। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला रण में है। पढ़िए जग्गोसिंह धाकड़ की खास रिपोर्ट…
Jammu Kashmir Elections: दस साल बाद हो रहे चुनाव में गांदरबल विधानसभा सीट की खासी चर्चा है। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला रण में है। यहां से उमर के दादा शेख अब्दुल्ला और पिता फारूक अब्दुल्ला भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार का चुनाव बेहद अलग है। सियासी मिजाज जानने मैं गांदरबल पहुंचा। यहां बिहामा चौक पर युवाओं से चर्चा छेड़ी तो अब्दुल मजीद बोले, यहां एनसी और पीडीपी में फाइट नजर आ रही है। पास ही खड़े इम्तियाज ने कहा, कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि पीडीपी, एनसी, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) और अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। पीडीपी से बशीर अहमद मीर, अपनी पार्टी से काजी मुबिशर फारूक और डीपीएपी से कैसर सुल्तान गनी ने ताल ठोक रखी है।
इस सीट पर सबसे ज्यादा 15 प्रत्याशी मैदान में हैं। ऐसे में उमर के वोट कटने का खतरा ज्यादा है। लोकसभा चुनाव 2024 में बारामूला सीट पर उमर को जेल में बंद अलगाववादी नेता इंजीनियर राशिद ने मात दी थी। इस बार फिर उन्हें जेल से चुनौती मिल रही है। पीरपोरा के नजीर अहमद ने कहा, जेल में बंद अलगाववादी नेता सरजन अहमद वागे उर्फ मौलाना सरजन बरकती ‘फ्रीडम चाचा’ ने चुनाव लड़कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। बरकती के समर्थक और उनकी बेटी सुगरा, पिता के लिए वोट मांग रही हैं। अगर बरकती सहित अन्य निर्दलीयाें ने वोट काटे तो उमर को मुश्किल हो सकती है।
गांदरबल से एक बार हार चुके हैं उमर
हार के डर से उमर बडगांव सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। उमर के दो सीटों से चुनाव लड़ने के सवाल पर वाकुरा के फैसल मंजूर ने कहा, उमर ने प्रतिष्ठा बचाने के लिए पहले गांदरबल को ही चुना, लेकिन विरोधियों की रणनीति ने बडगांव से भी लड़ने को मजबूर कर दिया। उमर 2002 के चुनाव में इस सीट पर हार गए थे, लेकिन 2008 में जीतकर सीएम बने थे।
यूपी और असम को बनाया मुद्दा
उमर चुनाव में उत्तरप्रदेश का हवाला देकर वोट मांग रहे हैं। वे कह रहे हैं कि भाजपा सरकार ने उत्तरप्रदेश में मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाए। असम में भाजपा की हुकूमत मुसलमानों को जलील करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। निर्दलीय उम्मीदवारों पर हमला बोलते हुए उमर जगह-जगह यह कह रहे हैं कि इनका मकसद सीटें जीतकर भाजपा की झोली में डालना है। वे क्षेत्र से पुुराने रिश्ते का हवाला देकर वोट मांग रहे हैं।
पीडीपी नेता उमर अब्दुल्ला के दो जगह से चुनाव लड़ने पर निशाना साध रहे हैं। महबूबा मुफ्ती ने कई बार कहा कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने तक चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुके उमर अब दो-दो सीटों से लड़ रहे हैं। उनकी कथनी और करनी कभी एक जैसी नहीं रही।