जोहान्सबर्ग के टोनी क्षेत्र में हेलिपैड वाले बड़े-बड़े चार मकानों के अलावा दुबई में पैलेशियल हाउस और भारत के देहरादून में भी उनकी संपत्ति है, जहां सफेद वर्दीधारी सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। दक्षिण अफ्रीका के कई वीआईपी लोग व मित्र वहां रहते हैं। वर्ष 2003 में उन्हें दक्षिण अफ्रीका में आलोचना का शिकार होना पड़ा था, जब उनके परिवार ने भतीजी की शादी पर भव्य आयोजन किया। इसमें वे 200 मेहमानों के साथ निजी विमान से गए और प्रतिबंधित हवाई पट्टी पर उस विमान को उतरवाया था।
गुप्ता बंधु द.अफ्रीका में बड़ी ही आसानी से कोई भी मंत्रालयिक पद पा सकते थे। दक्षिण अफ्रीका के वित्त मंत्री रहे भारतीय मूल के प्रवीण गोरधन इस पर अवश्य सहमत होंगे। उनके पिता
शिव कुमार गुप्ता उत्तर प्रदेश के भीड़ भाड़ वाले कस्बे में राशन की दुकान चलाते थे। लेकिन, सहारनपुर में व्यापार की अधिक संभावनाएं नहीं होने से उन्हें विदेशों में मसालों के कारोबार में थोड़ी सफलता मिली। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के मेडागास्कर में मसालों का कारोबार किया था। उनके सबसे बड़े पुत्र व्यापार के लिए चीन गए लेकिन वहां के बाजार में उन्हें कोई सफलता हाथ नहीं लगी।
उनका दूसरा बेटा अतुल द.अफ्रीका में संभावनाओं की तलाश में गया, जहां भारत की अपेक्षा लालफीताशाही कुछ कम मानी जाती है। साथ ही उनके भाई भी वहीं चले गए और वहां उन्होंने सहारा नाम की एक कंपनी (लखनऊ की इसी नाम की कंपनी से इसका कोई सरोकार नहीं है) बनाई। राजनेताओं से अच्छे संबंध बनाते हुए उन्होंने अपना व्यापारिक दायरा बढ़ाते हुए खनन, हवाई यात्रा, ऊर्जा, तकनीकी व मीडिया जगत में नाम कमाया। एक समाचार पत्र द न्यू एज और एक टीवी चैनल एएनएन 7 शुरू किया। बहुत से लोग गुप्ता बंधुओं की गाथा की पूर्णता का इंतजार कर रहे हैं। यह निश्चित तौर पर किसी बॉलीवुड फिल्म जैसा होगा।