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वेदों और गीता के सार में समाहित जीवन जीने का तरीका-‘शुक्र है विश्व का आरम्भक’ पर प्रतिक्रियाएं

Reaction On Gulab Kothari Article :वेदों और गीता के सार में समाहित जीवन जीने का तरीका ‘शुक्र है विश्व का आरम्भक’ पर प्रतिक्रियाएं…

Aug 05, 2023 / 11:23 pm

Anand Mani Tripathi

Gulab Kothari Editor-in-Chief of Patrika Group

Gulab Kothari Editor-in-Chief of Patrika Group

Reaction On Gulab Kothari Article : मातरिश्वा की आहुत से शुक्र का स्वरूप बनने और शुक्र के कई अर्थों में प्रयुक्त होने तथा इन अर्थों की गहन व्याख्या देने वाले पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की आलेखमाला ‘शरीर ही ब्रह्मांड’ के आलेख ‘शुक्र है विश्व का आरम्भक’ को प्रबुद्ध पाठकों ने ज्ञान का खजाना बताया है। उन्होंने कहा है कि लेख वेदों और गीता का सार है, जो जीवन जीने का तरीका सिखाता है। पाठकों की प्रतिक्रियाएं विस्तार से…

वेद सृष्टि का आधार है। बिना वेद सृष्टि की कल्पना संभव नहीं। आलेख में ठीक ही कहा है कि वेद ही प्रजा की उत्पत्ति का कारण है। पांच पंचजन उत्पन्न होने की पूरी प्रक्रिया की जानकारी रोचक है। यह जानकारी बहुत ही उपयोगी और विचारणीय हैं कि वेद पुरंजन से स्वयंभू पुर का ,लोक से परमेष्ठी, देव से सूर्य , भूत पुरंजन से पृथ्वी और पशु पुरंजन से चन्द्र का व्यक्ति भाव हुआ
राजेन्द्र जोशी, कथाकार, बीकानेर

हम चाहते हैं कि काम विकार के सारे कर्म खत्म हो जाएं इस सृष्टि से तो हमें अपने मन से इस विकार को खत्म करना होगा। अगर हम चाहते हैं कि आतंक के सारे कर्म खत्म हो जाए इस सृष्टि से तो हमें अपने चित से क्रोध के विकार को खत्म करना होगा। अगर हम चाहते हैं कि इस सृष्टि से भ्रष्टाचार खत्म हो जाए तो हमें अपने चित से लोभ के विकार को खत्म करना होगा। आलेख में यही बताया गया है। आज वेदों का अध्ययन करने की जरूरत है।
महेश दाधीच, जयपुर

हमारे धर्म शास्त्रों में शुक्र को एक विशेष स्थान दिया गया है। यह जीवन का कारक है। सृष्टि की हर रचना में सूक्ष्म भीतर होता है वह स्थल बाहर की ओर नजर आता है। इसमें भी शुक्र का ही प्रभाव होता है। इसकी व्याख्या करना बहुत कठिन है।
दिलपत सिंह, पाली

हमारे पूर्वजों की ओर से लिखे गए वेद इस संसार का आधार है। संसार में प्रजा की उत्पत्ति का कारण भी वेद है और प्रजा से ही प्रजापति होते हैं। प्रजापति ही ब्रह्म है जो सृष्टि के रचयिता है।

अनिल कुमार, पाली

हम सब में अधिकांश लोग काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार की सोच पैदा करेंगे तो हवा में वैसा ही वाइब्रेशन होगा। अगर किसी की सोच में थोड़ा सा भी मैल आया और हवा वैसे ही मैली है तो फिर कर्म में आना मुश्किल नहीं होता है। आज के आलेख में यही बताया गया हैै। प्रकृति की सदैव रक्षा करें।
पं सुभाष शर्मा, जयपुर

वेदों की रचना मानव जाति के लिए सबसे उत्तम रचना मानी जाती है। सनातन काल से ये मनुष्य का मार्गदर्शन कर रहे हैं। पाप-पुण्य, कर्म, धर्म-अधर्म सहित जीवन जीने और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बता रहे हैं। वेदों ने ही इस सृष्टि को अब तक बचाए रखा है। पृथ्वी पर मौजूद समस्त जीवों की महत्ता और उपयोगिता इन्हीं वेदों ने दी है। ज्ञान से लेकर आधुनिक विज्ञान का केन्द्र बिंदु रहे वेद आज भी सार्थक हैं। इनका अध्ययन करने वाला ज्ञानी हर परिस्थिति में हंसना जानता है।
प्रो. ज्योति जुनगरे, जबलपुर

‘शुक्र विश्व का आरम्भक है’, इस परम सत्य को तमाम उदाहरणों के साथ आध्यात्मिक ढंग से गुलाब कोठारी ने प्रस्तुत किया है। वेद से सृष्टि, योग के माध्यम से योगमाया का प्रादुर्भाव तथा वेद ही प्रजा की उत्पत्ति के कारण एवं जीवाव्यय के विकास का भी बखूबी ज्ञान बोध कराया गया है।
अमित गुप्ता, सीधी

वेदों में हमारी सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर सृष्टि के संचालन का वर्णन मिलता है। हमारे शरीर में ही ब्रह्माण्ड समाया हुआ है। आज का आलेख इसी का बोध कराने वाला है। यह सच है कि शुक्र कई अर्थों में प्रयुक्त किया जाता है। शुक्र सृष्टि की उत्पत्ति का कारण है इसलिए वेदों में प्रजापति शब्द का वर्णन मिलता है
पंडित राजू बोहरे, दतिया

शुक्र ही विश्व का शुरुआत कर्ता है। शुक्र शब्द कई जगहों पर अलग-अलग उपयोग किया जाता है। किसी भी रचना में सूक्ष्म भीतर और स्थूल बाहर होता है। मानव जीवन में भी शुक्र का महत्त्व है। ब्रह्म के अवयव और कलाओं के साथ-साथ पुर की कलाओं और
नरेन्द्रनाथ पांडेय, ज्योतिषाचार्य, ग्वालियर

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