इतने देशों ने दी थी मान्यताः आजाद भारत की अस्थाई सरकार को जापान समेत नौ देशों ने मान्यता थी। जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप आजाद हिंद सरकार को दे दिए थे। तीस दिसंबर को पहली बार नेताजी ने यहां तिरंगा फहराया। इस दौरान शपथ लेते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि एक दिन शान से लाल किले पर तिरंगा लहराएंगे। आजाद हिंद सरकार को जापान, जर्मनी, फिलीपींस जैसे देशों ने मान्यता दे दी थी। आजाद हिंद सरकार ने कई देशों में दूतावास भी खोले थे। इस सरकार का अपना बैंक, डाक टिकट और गुप्तचर तंत्र था।
कैसे मिली नेताजी की उपाधिः स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाष चंद्र बोस को नेताजी की उपाधि किसने दी, यह खयाल आपके दिमाग में आया होगा। इससे जुड़ी एक कहानी है। नेताजी एक बार जर्मन तानाशाह हिटलर से मिलने गए, वह सीधे किसी से नहीं मिलता था, उसके कई हमशक्ल थे वे पहले लोगों से मिलते थे पर जब नेताजी हिटलर से मिलने पहुंचे तो एक एक कर उसके हमशक्ल सामने आते रहे लेकिन नेताजी ने रिस्पॉन्स नहीं दिया।
महात्मा गांधी को कहा राष्ट्रपिताः आपको पता है कि नेताजी का कई बातों पर महात्मा गांधी से मतभेद था, लेकिन दोनों एक दूसरे का सम्मान करते थे। आप यह जानकर हैरान होंगे महात्मा गांधी को सबसे पहले राष्ट्रपिता कहकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ही पुकारा था।