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ओपिनियन

नकारात्मक राजनीति और एआइ के गलत इस्तेमाल से बढ़ी चिंता

अमरीकी राजनीति में बढ़ते नकारात्मक प्रचार और एआइ के प्रयोग का आकलन किया जाए। नकारात्मक राजनीति और फेक न्यूज को रोकने तथा इससे बचाव के लिए न केवल आवश्यक जानकारी मतदाताओं को उपलब्ध करवाई जाए बल्कि जरूरी कदम भी उठाए जाएं।

जयपुरOct 24, 2024 / 07:24 pm

Gyan Chand Patni

Donald Trump and Kamala Harris

Donald Trump and Kamala Harris in US Presidential Elections

‘अमरीका बनाम अमरीका’ पुस्तक के लेखक द्रोण यादव का अमरीका के चुनावी परिदृश्य का विश्लेषण


अमरीकी चुनाव प्रचार के माहौल में इस बार एक बड़ी भूमिका डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स द्वारा चलाए गए ‘नेगटिव कैम्पेन’ और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की भी है। चुनाव प्रचार में जितना प्रभाव कमला हैरिस और डॉनल्ड ट्रंप अपने अपने चुनावी मुद्दों के द्वारा छोड़ पा रहे हैं, कई मौकों पर उससे ज्यादा प्रभाव इस बात का है कि कैसे अपने प्रतिद्वंद्वी की साख पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया जाए।
चुनाव में जनता अमूमन यह सुनना चाहती है कि राजनीतिक पार्टियां और प्रत्याशी सत्ता में आने के बाद उनके लिए क्या योजनाएं लाएंगे, लेकिन इस बार अमरीकी चुनाव में ज्यादा हल्ला अपने प्रतिद्वंद्वियों पर आरोप-प्रत्यारोप का रहा। रैलियों, सभाओं और सामाजिक कार्यक्रमों के अलावा प्रचार का बड़ा माध्यम सोशल मीडिया व टीवी विज्ञापन भी हैं। दोनों ही प्रत्याशी चुनाव प्रचार में होने वाले खर्चे का एक बड़ा हिस्सा ‘नेगटिव कैम्पेनिंग’ पर व्यय कर रहे हैं। अपनी सभाओं और भाषणों के दौरान हैरिस और ट्रंप एक दूसरे की राजनीतिक कुशलता पर तो हमलावर हैं ही, लेकिन उसके साथ-साथ एक दूसरे पर निजी टिप्पणी करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं।
डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट एक मौका था जहां दोनों ही प्रत्याशी अमरीका के बेहतर भविष्य को लेकर अपनी-अपनी परिकल्पनाएं अमरीकी जनता के सामने रख सकते थे लेकिन ऐसा हुआ नहीं और पूरा समय एक दूसरे की कमियां गिनाने में निकाल दिया गया। कमला हैरिस और डॉनल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया के प्रचार तंत्र को खंगालेंगे तो पता चलता है कि दोनों प्रत्याशी एक दूसरे पर किस कदर हमलावर हैं।
एक ओर जहां डॉनल्ड ट्रंप, हैरिस के भाषण देने के अंदाज पर उंगली उठाते हैं, वहीं दूसरी और कमला अपने आधिकारिक ‘एक्स’ सोशल मीडिया अकाउंट से ट्रंप का वीडियो साझा कर उनकी मानसिक स्थिति पर तंज कसती हैं। इस बार दोनों पार्टियों ने ही नेगटिव कैम्पेनिंग पर अच्छा खासा खर्च किया है। इस चुनाव में टीवी या सोशल मीडिया पर चले विज्ञापनों को अमरीकी चुनावी विशेषज्ञ तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित कर समझाते हैं, ‘नकारात्मक’, जहां सामने वाले प्रत्याशी की कार्यशैली या चरित्र पर हमला किया जाए, ‘सकारात्मक’, जहां दोनों प्रत्याशी स्वयं की उपलब्धियों और विशेषताओं को रेखांकित करें और ‘तुलनात्मक’, जहां अपने प्रतिद्वंद्वी से तुलना कर स्वयं को वोट देने की अपील करें। यूं तो कमला हैरिस, ट्रंप के मुकाबले ज्यादा चंदा एकत्रित कर पा रही हैं, लेकिन हाल ही के आंकड़ों पर नजर डालें तो विज्ञापनों पर किए गए खर्च का फर्क भी समझ आता है कि कमला हैरिस के मुकाबले डॉनल्ड ट्रंप नेगटिव कैम्पेन पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं।
नेगटिव कैम्पेनिंग का बढ़ता प्रचलन कुछ हद तक घातक भी है क्योंकि जनता के समक्ष प्रत्याशियों का विजन नहीं आ पाता है और वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करने से पहले बड़े सीमित दायरे में विश्लेषण करते हैं। इसके अलावा चुनाव संपन्न होने के बाद विजयी प्रत्याशी की जिन मुद्दों पर जवाबदेही होनी चाहिए उससे भी ध्यान हट जाता है। प्रत्याशियों और पार्टियों द्वारा आधिकारिक रूप से चलाए जा रहे इस नकारात्मक प्रचार व अभियान के अलावा भी समर्थकों व कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेकर प्रत्याशियों पर हमले किए जाते हैं जिससे कभी-कभी सही और गलत खबरों में फर्क करना भी मुश्किल हो जाता है।
हाल ही किए गए एक सर्वे में सामने आया कि 57 प्रतिशत लोग चुनावों में एआइ के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं। ऐसे हालात में जरूरी हो जाता है कि अमरीकी राजनीति में बढ़ते नकारात्मक प्रचार और एआइ के प्रयोग का आकलन किया जाए। नकारात्मक राजनीति और फेक न्यूज को रोकने तथा इससे बचाव के लिए न केवल आवश्यक जानकारी मतदाताओं को उपलब्ध करवाई जाए बल्कि जरूरी कदम भी उठाए जाएं।

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