1. निर्देशन (अधिक निर्देश, कम सहायक व्यवहार): इस शैली में विशिष्ट निर्देश देना और कार्यों की बारीकी से निगरानी करना शामिल है। यह तब सबसे प्रभावी होता है जब टीम के सदस्य किसी कार्य के लिए नए होते हैं या वे स्वतंत्र रूप से इसे पूरा करने के लिए जरूरी कौशल और आत्मविश्वास की कमी महसूस करते हैं।
2. प्रशिक्षण (अधिक निर्देश, अधिक सहायक व्यवहार): जब कर्मचारी मध्यम स्तर की क्षमता दिखाते हैं पर फिर भी मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, तो शिक्षण महत्त्वपूर्ण हो जाता है। प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान करते हुए निर्देश देना यहां आवश्यक है। यह शैली उन कर्मियों के लिए प्रभावी है जो सीख रहे हैं पर उनमें आत्मविश्वास या प्रेरणा की कमी हो सकती है।
3. समर्थन (निम्न निर्देश, अधिक सहायक व्यवहार): जैसे-जैसे टीम के सदस्य अधिक सक्षम और आत्मविश्वासी होते जाते हैं, उन्हें कम निर्देश और अधिक समर्थन की आवश्यकता होती है। लीडर सुनने, प्रोत्साहित करने और सुविधा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इस स्तर पर, कर्मचारी अक्सर कार्यों को स्वयं संभालने में सक्षम होते हैं पर अपनी स्वायत्तता को और विकसित करने के लिए लीडर के भरोसे और प्रोत्साहन से लाभान्वित होते हैं।
4. कार्य सौंपना, प्रतिनिधि बनाना (कम निर्देश, कम सहायक व्यवहार): अंतिम चरण में सक्षम और प्रेरित टीम के सदस्यों पर अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से भरोसा करना शामिल है। यहां, लीडर कर्मचारियों को निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र कर देता है और वे स्वतंत्र रूप से कार्य निष्पादित कर सकते हैं। कार्य सौंपने से जवाबदेही बढ़ती है और टीम के मनोबल और स्वामित्व में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
एक लीडर का कार्य वास्तविक समय में इन कारकों का मूल्यांकन व दृष्टिकोण को अनुकूलित करना है।