अमेजन के सीईओ पद से सोमवार को इस्तीफा देंगे जेफ बेजोस, नई पारी की करेंगे शुरूआत
चीन सीपीसी के गठन का शताब्दी समारोह मना रहा है और विश्व चीन को दो दृष्टिकोण से देख रहा है। एक ओर इसे नई भूराजनीतिक शक्ति, नया व्यावसायिक ठिकाना माना जा रहा है तो दूसरी ओर एक ऐसा देश जो मानवाधिकारों की दृष्टि से दु:स्वप्न है। बतौर व्यापारी चीन से जो सबसे अहम सबक सीखा जा सकता है वह है इसका पैमाना। आज विश्व की 500 बड़ी कंपनियों में से 124 चीन की हैं। इनमें ताइवान की कंपनियां शामिल नहीं हैं। गत वर्ष इस सूची में चीनी कंपनियों की संख्या अमरीका से अधिक थी। ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें चीन का दबदबा एकदम स्पष्ट है। विश्व के पांच अग्रणी बैंकों में से चार चीन के हैं। बाजार मूल्य के हिसाब से चीन की 50वीं सबसे बड़ी कंपनी साइटिक सिक्योरिटीज है। इसका मूल्य 48 बिलियन डॉलर है, वेदांता से तकरीबन 3.5 गुना जो भारत की 50वीं सबसे बड़ी कंपनी है।रफाल सौदे को लेकर फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से हो सकती है पूछताछ
चीन आज ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, रूस और वियतनाम के बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। चीन के नवाचार बाजार को परिभाषित करते हैं। वर्ष 2019 में चीन में मोबाइल एप के जरिये सकल खर्च 54 ट्रिलियन डॉलर था, जो अमरीका की तुलना में 551 गुना ज्यादा था। टैक कंपनी बायदू के ‘ओपन सोर्स ऑटोनमस व्हीकल प्लेटफॉर्म’ के 130 पार्टनर हैं और डीजेआइ को दुनिया की अग्रणी ड्रोन निर्माता कंपनी माना जाता है। कुछ वर्ष पहले मैंने तियांजिन में सोच से नियंत्रित होने वाले प्रयोग को सफल होते हुए देखा था। नवंबर 2020 में चीन ने 6जी तकनीक के लिए प्रायोगिक टेस्ट सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया। आज चीन में 145 यूनिकॉर्न हैं, जिनमें से 89 चार वर्षों में ही तैयार हुए हैं। यही वजह है कि सिलिकॉन वैली में ‘चाइना स्पीड’ नया प्रचलित शब्द है। आज चीन में 30 साल पहले की तुलना में 74.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ चुके हैं। अमरीकी थिंकटैंक प्यू रिसर्च के अनुसार, चीन में मध्यम वर्ग की संख्या दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है – वर्ष 2000 में आबादी के 3.1त्न से बढक़र 2018 में यह वर्ग बढक़र 50.8त्न हो गया। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के विभिन्न देशों के लिए आर्थिक परिवर्तन (प्रति व्यक्ति जीडीपी विकास) संबंधी ‘द लिव्ड चेंज इंडेक्स’ में 1990 से 2019 के बीच चीन ने 32 बार परिवर्तन दर्ज किया, दूसरे नंबर पर रहे पोलैंड ने 9 बार और छठे पायदान पर रहे भारत ने 5.5 बार।(द इकोनॉमिक टाइम्स से साभार)