देश के विकास के लिए युवा वर्ग का रचनात्मकता कार्यों से जुड़ाव अतिआवश्यक है। भारत जैसे युवा देश के लिए यह और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है। पूरे विश्व में भारत ही ऐसा देश है, जहां साठ प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष के अंदर है । रचनात्मकता ही युवा वर्ग को दुर्व्यसन और तनाव से बचा सकती है। रचनात्मक कार्यों से जोड़े रखने के लिए केंद्रीय स्तर पर युवा रचनात्मकता इकाई गठित करने की आवश्यकता है। साथ ही प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के सम्मेलन और प्रतियोगिताओं का आयोजन होना चाहिए।
-डॉ. नयन प्रकाश गांधी, एशियाई संयुक्त निदेशक विश्व युवा संगठन, नई दिल्ली
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युवा वर्ग को समय-समय पर उचित मार्गदर्शन मिलते रहना चाहिए। युवाओं की रचनात्मक कार्यों के प्रति दिलचस्पी बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करने होंगे। विभिन्न कार्यक्रमों में युवा वर्ग को आमंत्रित करना चाहिए, ताकि युवा वर्ग भी अपनी सक्रिय भागीदारी निभा सके। इससे युवाओं को उचित मंच भी मिल सकेगा।
-मनोज दायमा, उदयपुरवाटी, झुंझुनूं
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वैसे तो आज का युवा वर्ग बहुत होशियार और मेहनती है। मौजूदा समय में युवाओं को इंटरनेट के माध्यम से जानकारी उपलब्ध हो जाती है। हर बच्चे की रुचि अलग-अलग होती है। जरुरी नहीं है कि बच्चा पढ़ाई के साथ-साथ अन्य सभी गतिविधियों में भी अव्वल हो। ऐसे में अध्यापक और माता-पिता का फर्ज बनता है कि वे बच्चे की असली प्रतिभा को पहचानें और प्रारंभ से ही उसे रचनात्मक कार्य के लिए प्रेरित करें।
-नीलिमा जैन, उदयपुर
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जीवन असीमित संभावनाओं का क्षेत्र है। इसे भेड़ चाल में तब्दील ना कर, अपने मन की अभिरुचि के अनुरूप अपने भविष्य के सपनों को साकार करने की कोशिश करनी चाहिए। शहर ही नहीं, अपितु ग्रामीण में भी मोबाइल का प्रयोग बढ़ गया है। इस तकनीक का सकारात्मक प्रयोग करें। छोटे-मोटे ऑनलाइन व्यवसाय विकसित करें। सिर्फ किताबी ज्ञान ही रचनात्मकता का आधार नहीं है। युवा वर्ग में कौशल का भी विकास हो। इसमें माता-पिता तथा स्कूली स्तर के अध्यापकों की भी अहम भूमिका है, उन्हें बच्चों की प्रतिभा तथा उनकी क्षमता का अच्छे से पता है। वे उन्हें सही दिशा देने का प्रयास करें। समय-समय पर बच्चों की काउंसलिंग की व्यवस्था भी की जाए, जिससे हम उनकी रचनात्मकता का पता लगा सकें।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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वर्तमान समय में युवा वर्ग में नशे की लत बढ़ती जा रही है, जिससे उनका जीवन अंधकारमय बन रहा है। ऐसे लोगों पर ध्यान दिया जाए। अभिभावक उनको अकेला न छोड़ें। सभी सामाजिक और धार्मिक कार्यों में उनको अपने साथ लेकर जाएं। उनको तरह-तरह के रचनात्मक कार्यों से भी जोड़ा जाए।
-सुरेंद्र बिंदल जयपुर
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युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाए
कई सरकारी योजनाएं हैं, जिनके जरिए युवा वर्ग को रचनात्मक कार्यों से जोड़ा जा सकता है। इसके अलावा जिला स्तर पर एथलीटों का चयन किया जाए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए और उनको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिले। इसके साथ ही स्किल इंडिया के कार्यक्रमों की सूची में अधिक से अधिक और विकल्प का चयन किया जाए ।
-अजय सिंह सिरसला, चूरू
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भारत में युवा वर्ग अन्य देशों से ज्यादा है। युवा वर्ग को रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए, तो भारत को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। इसके लिए युवा वर्ग को जागरूक करना चाहिए, उनके अन्दर सकारात्मक सोच पैदा करनी चाहिए। कॉलेजों में सेमीनार, विद्वानों के भाषण आदि का आयोजन किया जाए और महापुरुषों की रचनाएं आदि पढऩे को प्रेरित किया जाना चाहिए।
-श्रीकृष्ण पचौरी, ग्वालियर, मध्य प्रदेश
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रचनात्मकता स्वयं प्रेरित होती है। आवश्यकता है युवाओं को अभिप्रेरित करने की, उनको प्रोत्साहित करने की। साथ ही युवा वर्ग को शोध कार्य की तरफ मोडऩा चाहिए। शोध ऐसा हो जो लोगों के जीवन को आसान बना दे।
-शिवराज सिंह, झाबुआ, मध्य प्रदेश
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युवाओं की अपार शक्ति को रचनात्मक कार्यों में लगाने के लिए उनको कुशल उद्यमियों के साथ जोड़ा जाए। देख कर,अपने हाथों से काम करके हम जल्द सीख पाते हैं। भविष्य की जरूरत के हिसाब से स्कूल, कॉलेज, युवा केंद्रों पर विचार गोष्ठियों और कार्यशालाओं का नियमित आयोजन होना चाहिए।
-डॉ प्रभु सिंह झोटवाड़ा, जयपुर
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युवा देश की रीढ़ हैं। उनकी सोच जब विकृत होती है, तो देश की राष्ट्रीय अखंडता पर चोट पहुंचती है। युवा वर्ग को समय का सदुपयोग करना चाहिए। अपने भविष्य के प्रति निष्ठा पूर्वक कार्य करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार देकर उनकी दक्षता और कौशल को एक दिशा दी जा सकती है।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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आज विज्ञान व कम्प्यूटर का युग है। युवाओं में देश-सेवा, समाज-सेवा व सेवा भाव विकसित करने की जरूरत है। शिक्षा व उचित वातावरण द्वारा युवा वर्ग को रचनात्मकता कार्य से जोड़ा जा कसता है। भारत के युवा विश्व के लिए आदर्श बन सकते हैं।
-राम कृष्ण रतनू, जोधपुर
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बचपन से ही रुचियों के अनुसार प्रोत्साहित किया जाए। किसी भी कला या रचनात्मकता को अचानक से किसी व्यक्ति में जागृत नहीं किया जा सकता। रचनात्मकता का विकास बाल्यावस्था में जिस तरह किया जा सकता है, उतना किशोर या युवावस्था में नहीं। इसी कारण बचपन में ही स्कूल के माध्यम बच्चों को रचनात्मक कार्य दिए जाएं, उसके बाद आगे भी उन्हें उसी क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जाए, जो उन्हें रुचिकर लगते हों। इस प्रकार से वयस्क होने पर भी वे रचनात्मक कार्यों से वे जुड़े रहेंगे।
-शिवानी विश्वकर्मा, करेली, नरसिंहपुर, मप्र
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युवाओं को मानवीय मूल्यों की सीख देकर ही रचनात्मक कार्यों से जोड़ा जा सकता है। युवा मोबाइल के आदी हो चुके हैं, उनको सामाजिक कार्यों में लगाकर उन्हें स्वरोजगार की प्रेरणा देनी होगी। उनमें दया, प्रेम, और सद्भाव के मूल्यों का विकास करना होगा।
-बिहारी लाल बालान लक्ष्मणगढ़ सीकर