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आपकी बात: युवा पीढ़ी शारीरिक श्रम के महत्त्व को कैसे समझे?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

Jun 05, 2022 / 06:16 pm

Patrika Desk

प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

श्रम आधारित शिक्षा पर हो जोर
कोरोना महामारी ने जितना देश के युवाओं को आर्थिक दृष्टि से तोड़ दिया है, उतना ही यह सबक भी दिया है कि बिना शारीरिक श्रम के मानसिक श्रम भी अधूरा है। ऐसे में आवश्यकता है कि ऐसी शिक्षा पर जोर होना चाहिए, जिससे केवल नौकरी तलाशने वाले युवा ही न तैयार हों, बल्कि नौकरी का सृजन करने वालों का भी निर्माण किया जा सके। इसके लिए उद्यमिता को बढ़ावा देने के सघन प्रयास लगातार जारी रखने होंगे। विचार करने और कार्य करने की सम्मिलित शक्ति से ही श्रम का पूर्ण स्वरूप बनता है और उसी से किसी भी क्षेत्र में परिपूर्ण सफलता भी अर्जित की जा सकती है।
– अजिता शर्मा, उदयपुर
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स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन
‘स्वस्थ तन में स्वस्थ मन’ के फार्मूले को आज की युवा पीढ़ी को समझना चाहिए। जिस प्रकार एक मशीन तब तक ठीक रहती है जब तक वह चलती रहे उसी प्रकार हमारा शरीर भी तब तक स्वस्थ रहेगा जब तक वह शारीरिक श्रम करता रहेगा, आधुनिक तकनीकों के दौर ने हमारा हर कार्य आसान कर दिया है और हमारी जीवनशैली को बिल्कुल परिवर्तित कर दिया है। आज के युवा कोई भी काम हाथ से नहीं करते बल्कि हर काम में तकनीकों को अपनाया जाता है, नतीजा होता है मोटापा, हाई ब्लडप्रेशर, हृदयाघात, डिप्रेशन, मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियां। हमें नियमित रूप से व्यायाम, योग और शारीरिक श्रम करना चाहिए।
– रजनी वर्मा, श्रीगंगानगर राजस्थान
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स्कूल कॉलेजों में योग व खेल के कालांश हों
प्राथमिक स्तर पर ही बच्चों को पीटी व खेल स्पर्धा का अभ्यास शुरू करवा देना चाहिए। युवाओं को शुरू से ही शारीरिक श्रम के फायदे के लिए जागरूक करना होगा।
– डॉक्टर माधव सिंह, श्रीमाधोपुर
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शारीरिक श्रम के प्रति जागरूकता जरूरी
आजकल की युवा पीढ़ी शारीरिक श्रम से दूर रहती है। डिजिटल दुनिया के प्रति इनका झुकाव अधिक है। बदलती जीवनशैली से युवा पीढ़ी शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत नहीं बन पाती, जिसका बड़ा कारण शारीरिक श्रम से दूर रहना है। इसलिए युवा पीढ़ी को इसके महत्त्व को समझने की जरूरत है।
– ज्योति गिरि, रायपुर
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श्रम से जी न चुराएं
युवा पीढ़ी शारीरिक श्रम से भागती जा रही है। उन्हें केवल बिना श्रम का काम पसंद है जो उनको मानसिक रूप से अस्वस्थ करता है। भविष्य के युवाओं पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। युवाओं को अपने पूर्वजों के संघर्ष की कहानियों से अवगत कराने के लिए सरकार को ऑनलाइन कार्यक्रम चलाना चाहिए। सफलता के लिए शारीरिक व मानसिक श्रम से पीछे नहीं हटें, इस पर जोर देना होगा।
– सी.आर. प्रजापति, हरढ़ाणी जोधपुर
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श्रम का महत्व समझें
युवा पीढ़ी का शारीरिक श्रम तो बिल्कुल खत्म हो गया लेकिन मानसिक श्रम काफी हद तक बढ़ गया है । उसका सबसे बड़ा कारण आज की शिक्षा है। लेकिन युवा पीढ़ी को शारीरिक श्रम भी करना बहुत जरूरी है । इससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से व्यक्ति स्वस्थ व ऊर्जावान रहता है।
– सुरेंद्र बिंदल, मॉडल टाउन जयपुर
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मोबाइल का इस्तेमाल घातक

मशीनीकरण और संसाधनों के इस दौर में आज की पीढ़ी शारीरिक श्रम से बचने लगी है। बैठ कर करने वाले कामों में उनकी ज्यादा दिलचस्पी हो गई है। युवा पीढ़ी की शारीरिक क्षमता और मेहनत, पुरानी पीढ़ी के समकक्ष कतई नहीं ठहरती है। युवा पीढ़ी को कृषि, बागवानी, पशुपालन जैसे कार्यों को करने के लिए प्रेरित किया जाए तो उनमें शारीरिक श्रम से बलवान बनने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी विकसित करने में मदद मिलेगी। मां-बाप को भी आभासी दुनिया से बाहर निकाल अपने युवा होते बच्चों को अंधाधुंध मोबाइल के प्रयोग को रोकने के प्रयास कर, उन्हें शारीरिक श्रम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
– नरेश कानूनगो, देवास, मध्यप्रदेश
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दिनचर्या दुरुस्त करें
कोरोना महामारी के दौरान शुरू हुए ‘ वर्क फ्रॉम होम’ वाले कल्चर ने कई युवाओं को शारीरिक श्रम से दूर कर दिया है। घर बैठे कार्य करने से वे शारीरिक श्रम करने में झिझकने लगे हैं। शारीरिक श्रम की कमी से, उनकी क्षमताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा है। उन्हें मोटापा, मधुमेह, ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। शारीरिक श्रम के महत्त्व को समझ, रोगमुक्त होने के साथ शरीर में मजबूती के लिए अपनी दिनचर्या में ऐसे कार्यकलापों को शामिल करना होगा जिनसे उनका थोड़ा तो पसीना निकले। नियमित सुबह-शाम घूमना, बागवानी और अपने बच्चों के साथ खेलकूद कर शारीरिक श्रम के महत्त्व को समझ, माता-पिता पूरे परिवार को चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं।
– छाया कानूनगो, देवास, म.प्र.
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खेलकूद को दें बढ़ावा
युवाओं को शारीरिक श्रम के महत्त्व को समझाना है तो पहले उन्हें इसकी जरूरत को बताना होगा। उनके सामने इसके उदाहरण देने होंगे। आज के युवाओं के हाथ में स्मार्टफोन है जिससे वो चाहे तो शारीरिक श्रम का महत्त्व जान सकते हैं। शुरुआत स्कूल और कॉलेज में योग, एक्सरसाइज, और खेलकूद जैसी गतिविधियां कराने से और उसके साथ ही दैनिक जीवन में इसे अपनाने के साथ हो सकती है।
– सारिका सिंह, रायपुर, छत्तीसगढ़
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जागरूकता अभियान जरूरी
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। अत: माता-पिता को अपने बच्चों को शारीरिक श्रम और व्यायाम का महत्त्व बताना होगा। सरकारी कार्यालयों और प्राइवेट कंपनी के ऑफिस में भी शारीरिक श्रम जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। युवा पीढ़ी के लिये यह समझना बहुत जरूरी है कि निरोगी काया के लिए पौष्टिक भोजन के साथ -साथ शारीरिक श्रम और व्यायाम दोनों जरूरी है।
-विभा गुप्ता, बेंगलूरु

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स्मार्ट वर्क की तलाश हो
शारीरिक श्रम के महत्त्व को समझने के लिए दुनिया के उन छोटे-छोटे देशों से सीखना होगा कि कैसे वे छोटी-सी भूमि के टुकड़े में इतना कुछ उपजा लेते है कि अपनी पूर्ति के साथ ये दूसरे देशों को भी खाद्यान्न भेज देते हैं। घर में झाडू-पोंछा करने वाले व्यक्ति कितना श्रम करते हैं। युवाओं को कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन से अपनी आंख हटाकर श्रम के महत्त्व को समझना चाहिए। बात जब युवाओं में शारीरिक श्रम की आती है तो वे स्मार्ट वर्क को प्राथमिकता देते हैं लेकिन यह नहीं जानते कि पहले शारीरिक श्रम कर उसमें से स्मार्ट वर्क निकाला जाता है।
– खेमू पाराशर, भरतपुर
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समय से हो खान-पान
आज की युवा पीढ़ी को मुख्य रूप से मोबाइल फोन, इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स, इत्यादि चीजें पीछे करती जा रही हैं। साथ ही साथ आलस्य का भी शिकार बनाती जा रही हैं। ऐसे हालात में देश में नए-नए तरीके के खेलों का आयोजन होना चाहिए। मीडिया को भी जागरूकता कार्यक्रम में आगे आना चाहिए।
– युवराज ठाकुर, धार
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तकनीक ने किया श्रम से दूर
युवाओं को शारीरिक श्रम से दूर हटाने के प्रमुख कारणों में से टेक्नोलाजी के परिणाम और सोशल मीडिया का अतिउपयोग है। आंखों के अधिकतम उपयोग से ऊर्जा तो खर्च होती ही है साथ ही मानसिक तनाव भी बढ़ता है । युवाओं को स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर व लैपटॉप आदि का उपयोग जरूरत अनुसार करना होगा। यह महसूस करना होगा कि कठोर परिश्रम से ही आप शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक रूप से मजबूत होंगे।
– भगवत मीना, टोडाभीम
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आरामतलबी को कहें ना
आज के समय में हमारी युवा पीढ़ी आराम को ज्यादा महत्त्व देने लगी है। शारीरिक श्रम को लेकर बिल्कुल भी संजीदा नहीं है। जिससे कि कम उम्र में ही तरह-तरह की बीमारी उन्हें घेरने लगी है। गुरुकुल शिक्षा पद्धति में बच्चों में बचपन से ही शारीरिक श्रम के महत्त्व को संस्कार के रूप में डाला जाता रहा है। घर पर भी माता-पिता अपने बच्चों से कई तरह के शारीरिक कार्य करवाते थे। लेकिन वर्तमान परिदृश्य सर्वथा भिन्न है। युवा पीढ़ी को आलस्य त्याग कर शारीरिक श्रम के महत्त्व को समझते हुए इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
– मनीष कुमार सिन्हा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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मन की पवित्रता के लिए जरूरी
युवा पीढ़ी को शारीरिक श्रम को गंभीरता से लेना होगा। क्योंकि शारीरिक श्रम, आंतरिक सुरक्षा के साथ अपने आप को स्वस्थ रखने में काफी मददगार है। भारतीय संस्कृति के अनुसार भी शरीर व दिमाग की शुद्धि के लिए मन की एकाग्रता जरूरी है।
– संजय, बैतूल

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