धर्म और राजनीति दो अलग अलग विषय हैं। सत्ता में आने के लिए राजनीति में धर्म का इस्तेमाल अधिक होने लगा है। धर्म से जुडी बातों पर भोलेभाले लोग आसानी से विश्वास कर लेते हैं। राजनेता इसी का फायदा उठाते हैं। देश की जनता को बहका कर उन्हें अंधविश्वास के गहरे दलदल में डाल देते हैं। धार्मिक स्थलों पर मन की शांति मिलती है लेकिन अस्पताल और स्कूल—कॉलेज की भी उतनी ही आवश्यकता है। भक्ति और विश्वास के स्थान पर अंधभक्ति व अंधविश्वास ने उसकी जगह ले ली है। इससे विकसित देश की परिकल्पना करना निरर्थक होगा।
— शंकर गिरि, रावतसर, हनुमानगढ़ (राजस्थान)
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नेता अपने फायदे व स्वार्थ सिद्धि के लिए अंधविश्वास ही नहीं, बल्कि समाज, जाति, धर्म में राजनैतिक द्वैष फैलाने से भी नहीं हिचकते हैं। अपने समीकरण साधने के लिए उपद्रव का माहौल भी उत्पन्न कर देते हैं। उन्हें राजनीतिक रोटियां सेंकनी हैं। राजनेता में वैज्ञानिकता होना आवश्यक है। देश की शासन सत्ता संचालित करने वाले लोग भी अंधविश्वास को प्रोत्साहित करगें तो भारत अन्य देशों की प्रतिस्पर्धा में पिछड जाएगा।
-बलवीर प्रजापति, हरढा़णी जोधपुर
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विविधताओं से भरे भारत में, अनेक कुप्रथायें और कुरीतियां फैली हुई हैं। नेताओं को इन्हें दूर कर, वैज्ञानिकता का प्रचार करना चाहिए। लेकिन इससे उलट वे अपने फायदे के लिए इन अंधविश्वासों को बढ़ावा देते हैं। मजे की बात, यह कि जनता भी इन अंधविश्वासों से सहमत होती नजर आती है। गिने—चुने बुद्धिजीवी लोग ही इसका नाममात्र विरोध करते हैं। न ही बहुसंख्यक जनता और नेता इन अंधविश्वासों व रूढिवादी मान्यताओं को दूर करने के प्रयास करते नजर आते हैं। विकसित होते भारत के लिए यह अंधविश्वास पीछे ले जाने वाले हैं।
-नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
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नेता लोग चुनाव जीतने और अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाते हैं। वोट पाने की खातिर ये जनता की नब्ज टटोलने में माहिर हैं। लोगों को जाति, धर्म, मजहब तथा अंधविश्वास के आधार पर बांटने में सफल हो जाते हैं। इससे इन नेताओं को वोट मिल जाते हैं। जनता को जागरूक होना होगा अपने मताधिकार का सही उपयोग करना होगा।
— गजेंद्र चौहान, कसौदा, जिला डीग
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अधिकांश जनता में तर्कशक्ति का अभाव रहता है। अशिक्षित और कम शिक्षित जनता नेताजी की हर हिदायत मानने को तैयार रहती है। ऐसी सामाजिक परिस्थितियों का फायदा दूरदृष्टि तार्किक नेता उठाने से नहीं चूकते। स्थानीय नेता, स्थानीय जनता का मनोविज्ञान समझते हैं। नेता, चुनाव जीतने के लिए अंधविश्वास का पूरा— पूरा सहारा लेते हैं।
मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
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चुनाव जीतने के लिए नेता जाति, धर्म व अंधविश्वास को अपना हथियार बनाते हैं। ऐसा करके सत्ता प्राप्त करने में कामयाब हो जाते हैं। देश में समस्याओं को दूर करने के लिए कई पापड बेलने पडते हैं। धार्मिक अंधविश्वास को फैलाकर आसानी से वोट हासिल किए जा सकते हैं। जनता की इसी नासमझी का फायदा उठाकर नेतालोग चुनाव जीत जाते हैं। कई स्थानों पर धार्मिक अंधविश्वास की जडें इतनी गहरी हैं कि यदि कोई इनका विरोध भी करना चाहे तो उसे नास्तिक मानकर दुत्कार दिया जाता है। युवाओं को सी मार्गदर्शन करने वाले नेताओं की जरूरत है।
—अमित मांकेश, भरतपुर
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नेता, वोट बैंक की राजनीति और अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए शिक्षित व्यक्तियों को भी अंधविश्वास के इस कुचक्र में फंसा लेते है। समाज में अंधविश्वास फैलाकर वोट मांगने वाले इन नेताओं का आमजन को बहिष्कार करना चाहिए।
— प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर
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