-मुकेश सोनी जयपुर …… विधायकों की राय की अनदेखी मुख्यमंत्री के चयन में विधायकों की घटती भूमिका ठीक नहीं है। इससे जनता में रोष पैदा होता है। जातीय समीकरण भी मुख्यमंत्री के चुनाव में बाधा उत्पन्न करते हैं। मुख्यमंत्री के चयन में विधायकों की राह को ही महत्त्वपूर्ण माना जाना चाहिए। -गिरीश ठक्कर, राजनंदगांव
……………… टकराव की स्थिति पूर्व में जिस प्रकार जीते गये दल के विधायक, मुख्यमंत्री के नाम का फैसला सर्वसम्मति से करते थे, उस प्रणाली का लोप होता जा रहा है। मुख्यमंत्री के चयन में आलाकमान के निर्णय को महत्व दिया जाने लगा है। आलाकमान जिस नेता को मुख्यमंत्री के पद लिए चयनित कर लेता है, उस पर अपनी सहमति देना विधायकों की मजबूरी बन गई है। विधायकों की घटती भूमिका, बिना उनकी रायशुमारी के मुख्यमंत्री के चयन से, भविष्य में क्षेत्रीय-टकराव की स्थिति निर्मित हो सकती है।
-नरेश कानूनगो देवास, मध्यप्रदेश ……….. बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री का चयन करना सबसे बड़ी चुनौती है। एक दल में दर्जन भर लोग मुख्यमंत्री का ताज पाने के लिए उत्सुक बैठे रहते हैं और हर एक समीकरण साधने की कोशिश करते हैं। मुख्यमंत्री का चयन करते समय आलाकमान की बजाय विधायकों से रायशुमारी करनी चाहिए और विधायकों को भी राज्य के हित में सोचते हुए ही निर्णय करना चाहिए।
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर ……. अविश्वास की भावना मुख्यमंत्री के चयन में विधायकों के घटती भूमिका से इनके अंदर अविश्वास की भावना पनपने की सम्भावना बढ़ सकती है। अपने महत्व के प्रति उदासीनता, जिम्मेदारी से वंचित करने की प्रवृत्ति विकसित होती है।
सरिता प्रसाद, पटना ……….. नकारात्मक असर मुख्यमंत्री के चयन में विधायकों की घटती भूमिका का विधायकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि जब राज्य के निर्वाचित विधायक अपना विधायक दल का नेता नही चुन सकते तो फिर विधायक की भूमिका क्या रही। मुख्यमंत्री का चयन हमेशा निर्वाचित विधायकों को ही करना होगा।
-कुमार फलवाडिय़ा, सुजानगढ़ ………………. विधायकों की अदनेखी मुख्यमंत्री के चयन में विधायकों की अनदेखी करना संवैधानिक और लोकतांत्रिक दृष्टि से अनुचित है। वर्तमान राजनीति में अधिनायकवादी प्रवृत्ति बढ़ रही है। और इसी का परिणाम है – बाड़ेबंदी, भ्रष्टाचार, गुटबाजी।
-आजाद पूरण सिंह राजावत, जयपुर