समावेशी, महत्त्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक – ये चार शब्द जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के दृष्टिकोण को परिभाषित करते हैं। नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन, इन सिद्धांतों पर कार्य करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इसे सभी जी-20 सदस्यों ने सर्वसम्मति से अपनाया है। समावेश की भावना हमारी अध्यक्षता के केंद्र में रही है। जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ (एयू) को शामिल करने से 55 अफ्रीकी देशों को इस समूह में जगह मिली है, जिससे इसका विस्तार वैश्विक आबादी के 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इस सक्रिय कदम से वैश्विक चुनौतियों और अवसरों पर जी-20 में विस्तार से बातचीत को बढ़ावा मिला है। भारत द्वारा अपनी तरह की पहली बैठक ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ ने बहुपक्षवाद की एक नई शुरुआत की। इस बैठक के दो संस्करण आयोजित हुए। भारत अंतरराष्ट्रीय विमर्श में ग्लोबल साउथ के देशों की चिंताओं को मुख्यधारा में लाने में सफल रहा। इससे एक ऐसे युग की शुरुआत हुई है, जहां विकासशील देशों को ग्लोबल नैरेटिव की दिशा तय करने का उचित अवसर प्राप्त होगा। जनभागीदारी कार्यक्रमों के माध्यम से, जी-20 देश के 1.4 अरब नागरिकों तक पहुंचा और इस प्रक्रिया में सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों को भागीदार के रूप में शामिल किया गया।
भारत ने यह सुनिश्चित किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान जी-20 के दायित्वों के अनुरूप विकास के व्यापक लक्ष्यों की ओर हो। 2030 के एजेंडे को ध्यान में रखते हुए भारत ने, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में तेजी लाने के लिए जी-20 का 2023 एक्शन प्लान पेश किया। इसके लिए भारत ने स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, पर्यावरणीय स्थिरता सहित परस्पर जुड़े मुद्दों पर एक व्यापक एक्शन ओरिएंटेड दृष्टिकोण अपनाया। जी-20 के माध्यम से, हमने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी को सफलतापूर्वक पूरा किया जोकि वैश्विक तकनीकी सहयोग की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति है। कुल 16 देशों के 50 से अधिक डीपीआइ को शामिल करने वाली यह रिपॉजिटरी, समावेशी विकास की शक्ति का लाभ उठाने के लिए ग्लोबल साउथ को डीपीआइ का निर्माण करने, उसे अपनाने और व्यापक बनाने में मदद करेगी। एक पृथ्वी की भावना के तहत, हमने तात्कालिक, स्थायी और न्यायसंगत बदलाव लाने के महत्त्वाकांक्षी एवं समावेशी लक्ष्य पेश किए। घोषणा का ‘ग्रीन डवलपमेंट पैक्ट’ एक व्यापक रोडमैप तैयार करके भुखमरी से निपटने और पृथ्वी की रक्षा के बीच चुनाव करने की चुनौतियों का समाधान करता है। इस रोडमैप में रोजगार एवं इकोसिस्टम एक-दूसरे के पूरक हैं, उपभोग जलवायु परिवर्तन के प्रति सचेत है और उत्पादन पृथ्वी के अनुकूल है। इसके अलावा घोषणापत्र में जलवायु, न्याय और समानता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है, जिसके लिए ग्लोबल नॉर्थ से पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी सहायता देने का अनुरोध किया गया है। पहली बार विकास के वित्तपोषण से जुड़ी कुल राशि में भारी बढ़ोतरी की जरूरत को स्वीकार किया गया। इसे देखते हुए जी-20 ने बेहतर, ज्यादा विशाल और अधिक प्रभावकारी मल्टीलेटरल डेवलपमेंट बैंक के महत्त्व पर विशेष जोर दिया। इसके साथ-साथ भारत संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को लागू करने, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख संस्थानों के पुनर्गठन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जिससे और भी अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था सुनिश्चित होगी। नई दिल्ली घोषणापत्र में महिला-पुरुष समानता को केंद्र में रखा गया, जिसकी परिणति अगले वर्ष महिलाओं के सशक्तीकरण पर एक विशेष वर्किंग ग्रुप के गठन के रूप में होगी।
नई दिल्ली घोषणापत्र प्रमुख प्राथमिकताओं में सहयोग सुनिश्चित करने की एक नई भावना का प्रतीक है, जो नीतिगत स्पष्टता, विश्वसनीय व्यापार, और महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई पर केंद्रित है। हमारी अध्यक्षता के दौरान जी-20 ने 87 परिणाम हासिल किए और 118 दस्तावेज अपनाए, जो अतीत की तुलना में उल्लेखनीय रूप से काफी अधिक है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने जियो-पॉलिटिकल मुद्दों और आर्थिक प्रगति एवं विकास पर उनके प्रभावों पर व्यापक विचार-विमर्श की अगुवाई की। आतंकवाद पूरी तरह से अस्वीकार्य है, और हमें जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाकर इससे निपटना चाहिए। हमें शत्रुता से परे जाकर मानवतावाद को अपनाना होगा और यह दोहराना होगा कि यह युद्ध का युग नहीं है। हमारी अध्यक्षता के दौरान भारत ने असाधारण उपलब्धियां हासिल कीं। इसने बहुपक्षवाद में नई जान फूंकी, ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद की, विकास की हिमायत की और हर जगह महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए लड़ाई लड़ी। अब जबकि हम जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंप रहे हैं, तो हम इस विश्वास के साथ ऐसा कर रहे हैं कि समस्त लोगों, धरती, शांति और समृद्धि के लिए हमारे सामूहिक कदमों की गूंज आने वाले वर्षों में निरंतर सुनाई देती रहेगी।