केंद्र सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न कर दिया है। यह संकीर्ण एवं ओछी मानसिकता का परिचायक है। इस प्रकार के निर्णय देश में वैमनस्य की स्थिति उत्पन्न करते हैं। जनता विकास और रोजगार को महत्व देती है। वह राजनीतिक पार्टियों की कुटिल नीतियों को सिरे से खारिज करती आई है।
-महेश आचार्य, नागौर
……………..
सरकार का यह निर्णय तब सार्थक कहलाएगा जब कुछ खेल मैदानों के नाम भी तत्काल उन खिलाड़ियों के नाम पर रखे जाएं, जिन्होंने अपने खेल से विश्व में नाम कमाया है। खेलों से राजनीति को दूर रखा जाए, तभी खेलों को फायदा होगा। नाम के साथ-साथ अगर खेलों के लिए सुविधाएं भी बढ़ाई जाएं, तो बेहतर होगा।
-साजिद अली, इंदौर
…………………………….
सुविधाओं पर भी ध्यान दे सरकार।
केवल एक पुरस्कार का नाम परिवर्तन करने से खिलाड़ियों को समुचित सम्मान प्राप्त नहीं होता है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन व सुविधाओं की भी अधिक आवश्यकता है, जिससे प्रतिभा को निखरने के अवसर प्राप्त हों। खिलाड़ियों का सम्मान जरूरी है, पर यह सम्मान किसी राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि एक खेल प्रेमी और खेल को बढ़ावा देने की भावना से होना चाहिए।
-सुदर्शन शर्मा, चौमू, जयपुर
…………………………..
किसी भी महापुरुष के नाम से चल रहे पुरस्कार या योजना का नाम बदलना उचित नहीं है। ऐसा करना एक प्रकार से उन महापुरुष का अपमान है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम से खिलाडिय़ों के उत्साहवर्धन व प्रोत्साहन के लिए कोई और नए पुरस्कार का नाम भी तो सुझाया जा सकता है।
– रमेशचन्द्र आगलेचा, सुमेरपुर, पाली
………………………….
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलना तब उचित होता जब अरुण जेटली स्टेडियम , जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम भी बदल कर किन्हीं महान खिलाडियों के ही नामों पर रखा जाता।
-राजेन्द्र दीवान, करौली
……………………
किसी भी पुरस्कार का नाम बदलने से उसके स्वरूप या उसके कार्य क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं होता है। फिर भी किसी भी पुरस्कार का नाम उस कार्य में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले व्यक्ति के नाम पर ही रखना उचित होता है, ताकि पुरस्कार के माध्यम से उस विशेष व्यक्ति को निरंतर याद किया जा सके। मेजर ध्यानचंद भी एक खिलाड़ी थे, जिन्होंने खेल में भारत का नाम रोशन किया था। इसके कारण खेल रत्न पुरस्कार का नाम नेता के नाम से हटाकर ध्यान चंद के नाम करके सरकार ने ठीक किया है।
-मनोज दायमा, उदयपुरवाटी, झुंझुनूं
………………………….
सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रख दिया है। यह सही नहीं है। योजनाओं व पुरस्कारों के नाम बदलना अच्छी बात नहीं है। सरकार नई योजना बना कर कोई नया नाम दे सकती है। राजीव गांधी ने देश के विकास में प्रमुख योगदान दिया। ऐसे व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए।
-विष्णु प्रकाश वैष्णव, मण्डियान , राजसमंद
……………………….
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने का फैसला सराहनीय है। इस प्रकार की पहल से खेल जगत से जुड़े लोगों का उत्साह तो बढ़ेगा ही साथ ही जिस व्यक्ति के नाम से पुरस्कार दिया जाएगा, उस व्यक्ति का इतिहास भी समय-समय पर लोगों को ध्यान में आता रहेगा। इस प्रकार की पहल कोई भी सरकार करें हमें सदैव आगे बढ़कर उसका स्वागत करना चाहिए।
-ज्योतिरादित्य शर्मा, लाडवा, नागौर
………………………………
ठीक किया नाम बदलकर
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने का निर्णय पूर्णतः ठीक है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है। इसलिए इस पुरस्कार का नाम ध्यानचंद पर रखने में कोई बुराई नहीं।
ओमप्रकाश कारगवाल, सीकर
…………………….
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रखा है। इस निर्णय सेे देश के दोनों ही बेटों का अपमान हुआ है। एक बेटे ध्यान चंद ने खेल के जरिए देश का मान बढ़ाया तो दूसरे बेटे ने देश की एकता अखंडता के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। नाम बदलने से देश का विकास नहीं होगा।
-हनुमान बांगड़ा नागौर
…………………………
खेल रत्न पुरस्कार तो किसी विशिष्ट खिलाड़ी के नाम पर ही रखा जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हॉकी के जादूगर ध्यानचंद से श्रेष्ठ खिलाड़ी थे।अत: राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने का निर्णय सही है।
-विजय भारती, अजमेर
……………….
नया पुरस्कार घोषित किया जाता
राजीव गांधी के नाम पर दिए जाने वाले खेल रत्न पुरस्कार का नाम परिवर्तन करना निंदनीय है। राजीव गांधी देश के गौरव थे। ऐसे में उनके नाम के पुरस्कार को बदलने के स्थान पर केंद्र सरकार को मेजर ध्यानचंद के नाम पर नए पुरस्कार की घोषणा करना चाहिए था।
-नासिर शाह, सीसवाली, बारां
………………….
पूर्व की सरकारों की योजनाओं, संस्थाओं और पुरस्कारों के नाम बदलने की बजाय नए पुरस्कारों की घोषणा करने की जरूरत है। खेल के क्षेत्र में खिलाड़ियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उनके प्रशिक्षण पर पर ध्यान दिया जाए। खेल पर राजनीति न की जाए। स्टेडियमों का निर्माण किया जाना उचित होगा।
-खुशवंत कुमार हिंडोनिय, चित्तौडग़ढ़
………………………..
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलने का निर्णय गलत राजनीतिक मंशा से लिया गया निर्णय है। यह केवल ओछी मानसिकता को दर्शाता है। दूसरे देशों की अपेक्षा हमारे देश की पदक जीतने में क्या स्थिति है इसका विश्लेषण न करके पुरुस्कारों के नाम बदलकर अपनी नाकामी छुपाना उचित नहीं है। बेहतर तो यह था कि खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए नए पुरस्कारों की घोषणा होती। खेल प्रायोजकों को कुछ लाभ देने की बात होती।
-मकुल वर्मा, रायपुर
………………………………
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल कर हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रखने का कोई औचित्य नजर नहीं आता है। ध्यानचंद के नाम से एक नया पुरस्कार चालू किया जाना चाहिए था। इसमें दुर्भावना स्पष्ट दिखाई दे रही है। सरकारें परिवर्तनशील होती हैं। यदि हर सरकार ऐसे बदले की भावना से कार्य करेगी, तो राजनीतिक वैमनस्यता बढ़ेगी, जो देश हित में नहीं है ।
-सीताराम गुप्ता, मानसरोवर, जयपुर
…………………………
देश के लिए शहीद हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखे गए खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलना ठीक नहीं है। इसमें राजनीतिक द्वेषता झलकती है। खिलाडिय़ों को मान सम्मान मिलता, उनके लिए सुविधाएं बढ़ाई जाती और खेल बजट में बढ़ोतरी होती तो खिलाडिय़ों का उत्साहवर्धन अधिक होता।
-डॉ .एस. डी. मिश्रा , अजमेर
………………………….
खेल पुरस्कार का नामकरण किसी राजनेता के नाम किया जाना ही गलत था। ऐसा तो नहीं है कि देश के लिए खेल में जान लगाने वाला कोई खिलाड़ी नहीं हुआ। मेजर ध्यानचंद के नाम से पुरस्कार दिया जाना एकदम सही है। यह कदम खेल भावना को बढ़ाने वाला साबित होगा।
-भुवनेश्वर प्रसाद, जोधपुर
………………………..
ऐसे कैसे होगी हॉकी की तरक्की?
मेजर ध्यानचंद की इतनी फिक्र थी, तो उनके नाम पर हॉकी अकादमी बनाई जा सकती थी। खिलाड़ियों की सहायता के लिए ध्यानचंद के नाम से एक कोष शुरू कर सकते थे। हॉकी की तरक्की के लिए ठोस कदम उठाये जा सकते थे। राजनेताओं के नाम से नामकरण नहीं किया जाना चाहिए, तो इसी सरकार ने नरेंद्र मोदी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर अनेक संस्थाओं, योजनाओं, स्टेडियम का नामकरण क्यों किया गया है? -संजय पाटोदी, कोटा
…………………………….
केंद्र सरकार ने 1991- 92 से शुरू किए गए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है। बेहतर होता कि एक नवीन पुरस्कार मेजर ध्यानचंद तथा भारतीय हॉकी टीम को समर्पित करते हुए प्रारंभ किया जाता, जिससे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तथा मेजर ध्यानचंद दोनों का सम्मान होता।
-रवि शर्मा, गंगापुर सिटी