Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: सम्पूर्ण युगल सृष्टि का आधार नर-मादा है। चाहे मृत्युलोक की हो, स्वर्गलोक की या पितरलोक की। शरीर भी दोनों के भिन्न-भिन्न होते हैं। सिद्धान्त एक ही होते हैं। युगल तत्त्व सातों लोकों में होता है। प्रत्येक पुरुष शरीर में बीज तो वही (ब्रह्म) होता है। तब क्या माया भी वही होती है? शरीर ही ब्रह्माण्ड शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- कन्यादान : वर में आते श्वसुर के प्राण
जयपुर•Nov 17, 2024 / 09:57 pm•
Gyan Chand Patni
Hindi News / Prime / Opinion / podcast शरीर ही ब्रह्माण्ड : कन्यादान – वर में आते श्वसुर के प्राण
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