– 1960 से लेकर 1980-85 तक करीम लाला का नाम काफी सुर्खियों में रहा था। लाला की गिनती मुंबई के सबसे खतरनाक माफिया डॉनों की गिनती में होती थी।
– एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1920 के दशक में करीम लाला अपने परिवार के साथ अफगानिस्तान से मुंबई आया था।
– करीम लाला का पूरा परिवार मुंबई के मुस्लिम इलाके भिंडी बाजार में बस गया था।
– 40 के दशक में मुंबई बंदरगाह पर मामूली मजदूर के तौर पर काम करने वाला करीम लाला जल्द ही पठानों के गैंग में शामिल हो गया था, जो उस समय तक गुजराती जायदाद मालिकों और व्यापारियों के लिए देनदारों से वसूली का काम किया करता था।
– रिपोर्ट्स में कहा गया कि करीम लाला जल्द ही पठान गैंग का सरगना बन गया था। इसके बाद करीम लाला सुपारी लेकर कत्ल करने से लेकर जबरन घर खाली करवाने, अगवा और जबरन वसूली तक के काम करने लगा था।
– रिपोर्ट के अनुसार इन धंधों के अलावा करीम लाला गैरकानूनी शराब और सट्टे का धंधा भी बेहद कामयाबी से चलाने लगा और वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान के साथ समझौता कर इलाके बांट लिए।
– करीम लाला की धमक दक्षिणी मुंबई के डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाजार और मोहम्मद अली रोड जैसे मुस्लिम इलाकों में फैल गई थी।
– करीम लाला ने 70 के दशक के अंत में बिगड़ती सेहत को देखकर पठान गैंग और अपना गैरकानूनी कारोबार अपने भतीजे समद खान को सौंप दिया और अपने कानूनी धंधों में ध्यान देने लगा, जिनमें दो होटल और एक ट्रैवल एजेंसी शामिल थे।