scriptखरीफ सीजन : खंडवा में किसानों की गाढ़ी कमाई पर मौसम का कहर, 500 करोड़ रुपए का नुकसान , पढ़ें पूरी खबर | Kharif season: Soybean production reduced by 50-60%, farmers are cutting the crop stalks in the field | Patrika News

खरीफ सीजन : खंडवा में किसानों की गाढ़ी कमाई पर मौसम का कहर, 500 करोड़ रुपए का नुकसान , पढ़ें पूरी खबर

राजेश पटेल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट, खरीफ सीजन में किसानों के कपास, सोयाबीन की बंपर पैदावार की उम्मीदों पर मौसम ने पानी फेर दिया। किसानों की गाढ़ी कमाई पर मौसम का कहर इस कदर बरपा की सोयाबीन का उत्पादन 50-60 % कम हो गया। राजस्व विभाग की फसल कटाई प्रयोग में सोयाबीन का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 2 से 6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सामने आया है। जबकि सामान्य उत्पादन प्रति हेक्टेयर 12-15 क्विंटल होता है।

खंडवाOct 15, 2024 / 11:54 am

Rajesh Patel

soybean, cotton crops

खरीफ सीजन में सोयाबीन की क्रॉप कटिंग विधि से उत्पादन का आंकलन करते पटवारी

राजेश पटेल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट, खरीफ सीजन में किसानों के कपास, सोयाबीन की बंपर पैदावार की उम्मीदों पर मौसम ने पानी फेर दिया। किसानों की गाढ़ी कमाई पर मौसम का कहर इस कदर बरपा की सोयाबीन का उत्पादन 50-60 % कम हो गया। राजस्व विभाग की फसल कटाई प्रयोग में सोयाबीन का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 2 से 6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सामने आया है। जबकि सामान्य उत्पादन प्रति हेक्टेयर 12-15 क्विंटल होता है।
प्रति हेक्टेयर 3 क्विंटल 10 किलो उत्पादन हुआ

जिले के टिगरिया गांव निवासी किसान शिवराम पटेल के सोयाबीन के खेत पर पटवारी ने 5 बाई 5 मीटर के प्लाट पर क्रॉप कटिंग की। 750 ग्राम दाना निकला। इस औसत से प्रति हेक्टेयर 3 क्विंटल 10 किलो उत्पादन हुआ। इसी तरह सिंगोट सर्किल में पटवारी ने पांच बाई पांच की क्रॉप कटिंग की। 800 ग्राम दाना रिकार्ड किया है। उत्पादन तीन क्विंटल 20 किलो हुआ है। इस तरह अगल-अलग सर्किल में क्रॉप कटिंग के दौरान अधिकतम आठ क्विंटल तक उत्पादन मिला है। अभी तक 80 % प्रतिशत क्रॉप कटिंग की प्रक्रिया पूरी हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम ढाई से तीन क्विंटल और अधिकतम छह से आठ क्विंटल रिकार्ड किया गया है। उत्पादन प्रति हेक्टेयर औसत 10 से 12 क्विंटल से कम नहीं होना चाहिए। फसल कटाई प्रयोग में उत्पादन एक चौथाई हो गया है। उत्पादन की रिपोर्ट के हिसाब से किसानों करोड़ों रुपए की नुकसान होगा।
ऐसे समझें किसानों को करोड़ों का फटका

सोयाबीन की बोवनी 2 लाख 22 हजार हेक्टेयर में हुई है। अच्छी फसल का औसत उत्पादन 10 से 14 क्विंटल होता है। यदि दस क्विंटल प्रति हेक्टेयर का एवरेज लिया जाए तो 22 लाख 20 हजार क्विंटल उत्पादन होता है। लेकिन मौसम की मार के कारण उत्पादन 50 से 60 प्रतिशत कम हो गया है। यदि 50 प्रतिशत उत्पादन कम लिया जाए तो तो 11 लाख 10 हजार क्विंटल उपज की नुकसान हुआ है। नुकसान का औसत यदि समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 4800 रुपए लिया तो इसकी कीमत 532 करोड़ 80 लाख रुपए कीमत होती है। किसानों की गाढ़ी कमाई को 532 करोड़ रुपए से अधिक का फटका लगेगा।
किसान बोले… लागत निकलना मुश्किल

टिगरिया गांव के किसान दुर्गेश पटेल का कहना है कि तीन एकड़ खेत बटाई पर लेकर सोयाबीन की बोवनी की है। पटवारी के फसल कटाई प्रयोग में 3 क्विंटल 10 किलो सोयाबीन निकला है। इस बार लागत भी नहीं निलेगी। उम्मीद थी कि 12 से 15 क्विंटल उत्पादन होगा। कर्ज चुकता कर लेंगे। इसी तरह रोहणी के रोहित बादल का कहना है कि बारिश से सोयाबीन की फसल खराब हो गई। खेत में डंठल काट रहे हैं। फसल कटाई प्रयोग में 450 ग्राम सोयाबीन का दाना निकला है। उत्पादन दो से ढाई क्विंटल होगा। इस बार तो खाद, बीज की लागत नहीं निकलेगा।
20 अक्टूबर से स्लाट बुकिंग, 25 से शुरू होगी तौल

प्रदेश सरकार पहली बार सोयाबीन समर्थन मूल्य खरीदने जा रही है। किसान उपज बेचने रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है। सोमवार की शाम तक 1128 किसानों का पंजीयन हो चुका है। किसान उपज की तौल के लिए 20 अक्टूबर से स्लाट बुकिंग कर सकेंगे। इसी दिन तक रजिस्ट्रेशन होगा। 25 अक्टूबर तक सत्यापन करेंगे। इसी दिन से केंद्रों पर तौल शुरू हो जाएगी।
सोयाबीन 12 % से अधिक नमी तो नहीं होगी तौल

शासन ने समर्थन मूल्य पर खरीदी वाली उपज की गुणवत्ता का मापदंड निर्धारित कर दिया है। पैरामीटर में 12 % नमी, अशुद्धता बाह्य पदार्थ समेत 2 % , सिकड़े हुए, अपरिपक्व एवं रंगहीन दाने 5 %, क्षतिग्रस्त एवं घुन लगे दाने 3 %, यांत्रिक रूप से क्षतिग्रस्त दाने ( विभाजित, टूटे हुए एवं दरारयुक्त ) 15 % मान्य होंगे। इससे अधिक मिलने पर रिजेक्ट होगा।
ऐसे समझें समय सीमा

पंजीयन : 25 सितंबर से 20 अक्टूबर

सत्यापन : 20 सितंबर से 25 अक्टूबरकेंद्रों का निर्धारण : 15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर

स्लॉट बुकिंग : 20 अक्टूबर से 21 दिसंबरउपार्जन अवधि : 25 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2024 तक

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