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नोएडा

Patrika Exclusive: क्या है डंपिंग ग्राउंड का सच, यहां कैसे शुरु हुई कूड़े पर तकरार, किसने पैदा की यह समस्या

लोगों के जी का जंजाल बना डंपिंग ग्राउंड।

नोएडाJun 20, 2018 / 09:04 pm

Rahul Chauhan

dumping ground

Patrika Exclusive: क्या है डंपिंग ग्राउंड का सच, यहां कैसे शुरु हुई कूड़े पर तकरार, किसने पैदा की यह समस्या

नोएडा। कूड़ा गौतमबुद्धनगर के लिए बड़ी समस्या बन गया है लोग परेशान हैं , नेता भी परेशान हैं, मामला सूबे के मुखिया तक पहुंच गया है, लेकिन कूड़े की समस्या हल होती नज़र नहीं आ रही है। ये समस्या क्यों है और किसने पैदा की ये जानने के लिए ग्राउंड जीरो जाकर राजस्थान पत्रिका ने पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि किस तरह प्राधिकरण के अधिकारियों ने शहर की सबसे अहम जरुरत को कूड़े-कचरे को नजरअंदाज किया और जहां भी गड्ढा मिला, वहां कूड़ा डाला जिससे शहर ही कूड़ा घर बन गया।
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नोएडा से 55 किलोमीटर की दूरी पर बसा गौतमबुद्धनगर जिले का अस्तौली अंतिम गांव है, जो बुलंदशहर जिले से जुड़ा हुआ है, विकासशील इस गांव की विरासत हैं, आम के बाग और गेहूं, चावल की खेती और इसके साथ घना जंगल, लेकिन इस हरे भरे गांव में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के नाम पर 125 एकड़ जमीन किसानों से ले ली। वादा किया जो प्लांट लगाया जाएगा वह वेस्ट टू एनर्जी तकनीक से लैस होगा। उसमें कूड़े से बिजली का उत्पादन होगा और बचे हुए कूड़े का प्रयोग से सड़क बनाई जाएगी। इस प्लांट के ढाई वर्ष में बनाकर चालू करने की बात भी कही। लेकिन दस साल बीत जाने के बाद अस्तौली में प्रस्तावित प्लांट नहीं बन पाया है।
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सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की जमीन की चारदीवारी हो पाई है। जिस प्रकार नोएडा प्राधिकरण ने नोएडा के सेक्टर-123 में प्लांट लगाने के नाम पर कूड़े का अम्बार लगाया जा रहा है। उससे अस्तौली गांव आशंकित है कि यहां भी प्राधिकरण कूड़े का ढेर न खड़ा कर दे। नोएडा के सैक्टर-123 में लोग जिस प्रकार कूड़ा घर का विरोध कर रहे हैं उसी तर्ज पर अब अस्तौली में भी विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं।
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गांव के पूर्व प्रधान का कहना है कि प्राधिकरण ने हमसे बैठक कर बताया था कि प्लांट लगने से इलाके के लोगों को रोजगार मिलेगा और ये प्लांट प्रदूषण रहित होगा इसीलिए हमने गांव विकास के लिए जमीन दे दी, यदि प्राधिकरण ने यहां भी कूड़े का ढेर लगाया तो इस क्षेत्र की हरियाली खत्म हो जाएगी और लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ेगा। इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं।

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