सुप्रीम कोर्ट ने इस बिल्डर को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह कोर्ट से लुका-छिपी का खेल न खेलें। जब तक दस्तावेज नहीं दिए जाते, आप पुलिस की हिरासत में रहेंगे। इससे पहले कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी की ओर से पेश वकील से पूछा था कि फॉरेंसिक ऑडिट से संबंधित दस्तावेजों को अब तक ऑडिटरों के पास जमा क्यों नहीं कराया गया? गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने DRT (ऋण वसूली ट्राइब्यूनल) को आम्रपाली की 16 संपत्तियों की नीलामी या बिक्री का आदेश दिया था। ऐसा अनुमान लगाया गया था कि इन संपत्तियों की बिक्री से 1600 करोड़ रुपये इकट्ठा हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि वह तय करेगा कि कैसे इस रकम का इस्तेमाल अधूरे प्रॉजेक्ट को पूरा करने में किया जाए। शीर्ष कोर्ट ने आम्रपाली के डायरेक्टरों को सभी संबंधित दस्तावेजों को डीआरटी को जमा कराने को कहा था। कोर्ट ने फॉरेंसिक ऑडिटर को भी निर्देश दिया था कि वह 60 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपे कि रकम का गबन कैसे किया गया?
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह की ठप पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने वाले बिल्डर का चयन करने के लिए NBCC लिमिडेट को निविदाएं पेश करने (टेंडर देने) की अनुमति दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने NBCC से 60 दिन के अंदर लंबित पड़ी परियोजनाओं की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।