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इसलिए प्याज के दाम में आएगी गिरावट
गौरतलब है कि देश में प्याज की किल्लत की वजह से पिछले वर्ष नवंबर और दिसंबर में प्याज के दाम आसमान पर पहुंचने से राजनीति का मुद्दा बन गया था। इसके बाद दबाव में आई केन्द्र की मोदी सरकार समय पर तो नहीं जागी, लेकिन जमाखोरों ने जब चांदी काटली तो विदेशों से प्याज आयात करने का फैसला लिया गया। जब यह प्याज देश में पुहंचा, तब तक स्थानीय प्याज की फसल भी बाजार में आने लगी। लिहाजा, बाजार में प्याज की दोहरी सप्लाई की वजह से अब प्याज के दाम तेजी से गिरने लगे हैं। इससे खरीदारों को तो राहत मिलने लगी, लेकिन जिस तरह से प्याज के दाम गिरने की संभावना जताई जा रही है। इससे महंगे प्याज खीरदकर आम लोगों की कमर टूटने के बाद अब जरूरत से ज्यादा प्याज के दाम में गिरावट से किसानों की भी कमर टूट जाएगी।
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यानी सरकारी की लापरवाही और देर से लिए गए फैसले की वजह से एक तरफ लोगों ने महंगी प्याज खरीदकर अपनी जेब कटवाई। वहीं, मांग से ज्यादा प्याज की पूर्ती होने की वजह से मेहनतकश किसान को भी उसने उत्पाद की उचित मूल्य मिलने की संभावना नहीं है।